नहीं जरूरी जो खुश दिख रहा हो,
वो असल में खुश हो,
जो दूसरों को हसा रहा हो,
वो खुद भी खुश हो,
ख़ुद के जन्मदिन पर,
जिसके कोई हलचल नहीं,
दीपावली पर जिसकी कोई तस्वीर नहीं,
दिन बीत रहें हों जिसके खोए खोए से,
और रात जैसे हकीकत दोहराती हो,
एक वक्त का खाना छोड़ दे जो,
और मीलों पैदल ही सफर तय कर रहा हो,
कभी न कहता अपनी ये बातें किसी से,
ज़रूरी तो नहीं उसके मन में कोई बात ना हो,
समझ सको तो अहसास को समझो,
ज़रूरी तो नहीं गम को हर बार शब्दों ने कहा हो,
मन के दीपक को जलाए रखता है हर पल,
मगर जरूरी तो नहीं,
हर बार उसकी लौ में उतनी ही चमक हो,
हस रहा हो जो खिलखिला के तुम्हारे सामने,
मगर अंत में छुपी उस शांत मुस्कान को देखो,
दबे हुए से उसके अहसास को समझो,
क्योंकि नहीं जरूरी जो खुश दिख रहा हो,
वो असल में खुश हो..!!
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