Maturity
Is not when you start speaking about big things..
It's when you start understanding small things..-
चाहत ए इश्क़ में तड़पने का
भी अपना मजा हैं
दिल की बातें नैनो में सजती
मगर उनके अलफाजो को
कुछ और ही पता है
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गिला किसीसे कुछ भी नहीं,
कल भी अकेली थी,
आज भी अकेली हूँ,
फूलों से अब डर लगता,
जिंदगी में गौतम,
कांटो की अहमियत ,
अब मैं समझती हूँ,
जब से ,
रिसते लहू से,
रिश्ता जोड़ा है,
क्या कमाल की मुहब्बत,
अब मैं जीती हूँ,
जहां बेशुमार तल्खियां,
दिल को बेध जाती हैं,
और अब मैं,
फूल से नहीं,
कांटो से इश्क़ करती हूँ।-
ख्वाब ....
अपने मंजिल को पाने की
ख्वाब....
खुद ही खुद से लड़ने की
ख्वाब .....
खुद को जलाकर
दुनिया से अंधेरा मिटाने की
ख्वाब ....
किसी मुरझाया हुआ पत्ते को
फिर से ज़िंदा करने की
ख्वाब ....
किसी बंजर ज़मीन को
फिर से हरा करने की
आसान यहाँ सब कुछ है
बस हौसले की देर है
कल को बदलने के लिए
ख्वाब देखना है सबसे पहले
चाहे कितना घना हो
काली रात की साया
उसे मिटाता एक सबेरा ही है ।।
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Episode -36
" दफ़'अतन "
भाषा: अरबी, वज़्न: 212, संज्ञा l
अर्थ:
अकस्मात, अचानक, तुरंत, फौरन, उसी पल,
आँख झपकते ही, सहसा, यकायक, अकस्मात,
बिना सोचे-समझे आदि l-
Episode -34
"तमास" और "तमाश-बीन"
"तमास" (भाषा: उर्दू, वज़्न: 121, संज्ञा )
अर्थ : एक दूसरे के जिस्मों का मिल जाना,
मिलाप, सहवास मिलना आदि l
"तमाश-बीन"
(भाषा: फ़ारसी, वज़्न: 12121, संज्ञा )
अर्थ:
देखने वाला, तमाशाई, अय्याश, वेश्यागामी l-
Episode - 32
" अफ़्कार "
भाषा: अरबी, वज़्न: 221, संज्ञा l
अर्थ:
विचार, चिंतन, काव्य, चिंताएँ, फ़िक्रें, रचनाएँ
ख़्यालात, नज़रियात
(जो ग़ौर-ओ-फ़िक्र के नतीजे में मुरत्तिब हो )
शब्द सम्बंधित शे'र
नालाँ हूँ मैं बेदारी-ए-एहसास के हाथों,
दुनिया मिरे अफ़्कार की दुनिया नहीं होती l
- साहिर लुधियानवी-