जो क़िस्मत में लिखा है अगर जब वो ही मिलता है,
तो मंदिर मस्जिदों में तू...ख़ुदा से माँगता है क्या..!-
इंशपा इलाहाबादी
(इंशपा)
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युवा लेखक व चित्रकार
Joined 1 March 2019
26 NOV 2022 AT 22:40
21 NOV 2022 AT 11:18
वही इस दौर का, है सबसे बड़ा दुश्मन,
जो भी ये चाहेगा के तेरा भला हो |-
18 NOV 2022 AT 2:18
ज़रूरी नहीं
कि कोई ग़म ही हो,
कभी कभी इंसान को
उसका "अहम" भी उसे
खा जाता है l-
13 NOV 2022 AT 22:58
इससे पहले कि कोई ख़्वाब हमारा देखे,
हमे अपना बना कि दुनिया नज़ारा देखे l-
11 NOV 2022 AT 15:41
चाहे ये सफ़र मेरा सफ़र में ही गुजर जाए,
पर ख़ाली हाथ वापस, घर हम न लौटेंगे l-
6 NOV 2022 AT 20:27
सहमे हम जज़्बात से ज़्यादा,
टूटे जब हालात से ज़्यादा l
सोच समझकर ही कुछ कहना,
टूटे दिल किस बात से ज़्यादा l-
4 NOV 2022 AT 21:36
किसी को कम तो किसी को कम ज़्यादा लगे,
ये दर्द - ए - दिल है इसका ग़म ज़्यादा लगे l
इस दौर - ए - जहां में ये रिवाज है इंशपा,
यहां दवा लगे कम बेशक ज़ख़्म ज़्यादा लगे l-
2 NOV 2022 AT 2:40
दर्द क्या होता है बख़ूबी जानने लगे हम,
जब से अपनो के चहरे पहचानने लगे हम l-
1 NOV 2022 AT 20:16
न आई रास दुनिया ना ही रहा मलाल,
यानि इस जहां से जी भर गया हमारा|-