दिन गुजरेगा तो , वक़्त भी बदल जाएगा !
टूटा हुआ हर इंसान , एक दिन सम्भल जाएगा !
भले अभी हर शाम , दर्द में गुजर रही हो मगर,,,
दिल - ए - नाशाद ना कर , ये शाम भी एक दिन ढ़ल जाएगा !
शायद अभी अज़ाबों का , दौर चल रहा है,,,
फ़िक्र न कर , खुशियों का दिया भी एक दिन जल जाएगा !
बहरहाल दिल की कैफ़ियत , थोड़ी बिगड़ी है तो क्या,,,
पर वक़्त के साथ , ये दिल भी एक दिन बहल जाएगा !
क्यूँ होते हो मायूस , इन काली रातों को देखकर,,,
सबर रखो खुदा भी , एक दिन पिघल जाएगा !
परवाज़ न रुकने दो , ज़रा सी शिकस्त के ख़ातिर,,,
हौसला रखो , हर बला भी एक दिन टल जाएगा !
-