है उसे भी महफ़िलो का शौक पर अब तन्हा है ॥ तो खुद को मशरूफ बताता है॥ मैंने कहा न एक शख्स बहुत अच्छे से सच को झूठ बताता है॥ एक उजड़ा जगंल है उसके अंदर फिर भी गुलाब को पसंदीदा फूल बताता है॥ मैंने कहा न एक शख्स बहुत अच्छे से सच को झूठ बताता है॥ वो खुद रोज मर मर कर जीता है फिर भी जिदंगी को एक बहुत खूबसूरत तौहफा बताता है॥ मैंने कहा न एक शख्स बहुत अच्छे से सच को झूठ बताता है॥ ❤🖤