मैं अर्ज करूं,
वो मान जाए।
ऐसी क्या तर्ज करूं,
की हाल ए दिल मेरी जान जाए?
कश्मकश में गोते खाए,
नींद से जागा करूं,
रात-रात उसकी ख्याल जो आया करे,
क्या करूं की वो मान जाए।
काश हाल ए दिल मेरी जान जाए।
रौशनी राहों में होंगी,
अरमान मेरे खयाल में उसके,
कदम-कदम उसके ताल-ताल मैं चलूं,
राह में बहार से उसके।
अब क्या करूं की वो मान जाए?
काश हाल दिल वो मेरी भी जान जाए ।
छमछमाति बरसात होंगी,
या मंद-मंद फुहार में,
मैं भीग उसकी चाह में,
यादों की अनकही सौगात दूं।
मैं क्या करूं की वो मान जाए?
कुछ ऐसा हो की,
हाल ए दिल वो मेरी भी जान जाए ।
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