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मोहब्बतें घूंट !

किसी को रुलाने की सज़ा तू भी भुगत,
मयखाने की चौखटो के जा ठोकर खा ।
क्यों कोसता हैं जिंदगी को पीकर शराब,
मोहब्बते-दगा मिलना भी हैं शबाब ।।

शराब साकन है सोभती ग़मदार को,
जो न पिया ना जीया उसे धिक्कार हो ।
न उतरा मोहब्बतें घूंट हलक में जिसके,
शराब पीने का वही सही हकदार हो ।।

ग़लत कर तुम भी एक बार होश मे आ,
जा मयखाने के दो-चार चक्कर लगा ।
किसी पियक्कड़ से ही पुछ ले इश्क़ का पता,
सच जान उन लबों से बेशक जो बजारू-बेकार हों ।।

होश वाले पूछते है नशा पीकर मेरा,
तू कभी तो गिरा होगा ग़मो में जी कर ।
तो टीस तुझे भी है मेरे होने का यहां,
जहां की बातें बनाने में तुझे भी आने लगा मज़ा ।।

गर इल्ज़ाम लगाना आता हो तो ही खोल तेरे लब,
जो हसरतों से तबाह और नियति से बेपरवाह हो ।
क्या करेगा कोई बुराई उसका जिसे काल का पता हो,
जो तू बहकीं सी बात करता है बता किसका शिनाख्त करता है।।

मुझमें तो मेरा कुछ भी नहीं जो है सब उसका है,
उसके नशें में डुबा मैं हमेशा खुश रहता है ।
जो सोच से परे हो अखीर उससे कौन बैर करे,
पुछने वाला नशा मेरा शायद मयखाने का पता पुछता है।।

मय चौखट से उतरते क़दम तेरे भी लड़खड़ाने लगें,
जुबां पर मेरे खिलाफ बनावटी बाते आने लगें ।
तो एक बार देख ले खुद के भी पद चिन्हों को,
कहीं तु भी मेरे रास्ते पर तो ना चल पड़ा हो ।।

© - अंकु पाराशर

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मोहब्बतें घूंट !

किसी को रुलाने की सज़ा तू भी भुगत,
मयखाने की चौखटो के जा ठोकर खा ।
क्यों कोसता हैं जिंदगी को पीकर शराब,
मोहब्बते-दगा मिलना भी हैं शबाब ।।

शराब साकन है सोभती ग़मदार को,
जो न पिया ना जीया उसे धिक्कार हो ।
न उतरा मोहब्बतें घूंट हलक में जिसके,
शराब पीने का वही सही हकदार हो ।।

ग़लत कर तुम भी एक बार होश मे आ,
जा मयखाने के दो-चार चक्कर लगा ।
किसी पियक्कड़ से ही पुछ ले इश्क़ का पता,
सच जान उन लबों से बेशक जो बजारू-बेकार हों ।।

होश वाले पूछते है नशा पीकर मेरा,
तू कभी तो गिरा होगा ग़मो में जी कर ।
तो टीस तुझे भी है मेरे होने का यहां,
जहां की बातें बनाने में तुझे भी आने लगा मज़ा ।।

गर इल्ज़ाम लगाना आता हो तो ही खोल तेरे लब,
जो हसरतों से तबाह और नियति से बेपरवाह हो ।
क्या करेगा कोई बुराई उसका जिसे काल का पता हो,
जो तू बहकीं सी बात करता है बता किसका शिनाख्त करता है।।

मुझमें तो मेरा कुछ भी नहीं जो है सब उसका है,
उसके नशें में डुबा मैं हमेशा खुश रहता है ।
जो सोच से परे हो अखीर उससे कौन बैर करे,
पुछने वाला नशा मेरा शायद मयखाने का पता पुछता है।।

मय चौखट से उतरते क़दम तेरे भी लड़खड़ाने लगें,
जुबां पर मेरे खिलाफ बनावटी बाते आने लगें ।
तो एक बार देख ले खुद के भी पद चिन्हों को,
कहीं तु भी मेरे रास्ते पर तो ना चल पड़ा हो ।।

© - अंकु पाराशर

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लड़खड़ाते हैं जो कभी,
संभल भी जाते हैं खुद से ही,
आज इस दौर में लोगों को,
ख़ुद का ही गुरु बनना पड़ता है।

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10 JUL AT 9:53

गुरु वो सूरज नहीं
जो सिर्फ रोशनी देता है,
गुरु वो चाँद है —
जो अंधेरे में भी ठंडक और दिशा देता है।

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10 JUL AT 5:10

" स्थिर "

कितनी तस्वीरें साथ हैं , कितनी हो ना पाई ...
मैं तो सोया रहूँ सारी रात , पर ये सो ना पाई !!

यादों की बात तो , कुछ और ही है ...
मैं ही खोया रहूँ , पर ये खो ना पाई !!

चलना ही सफ़र है , मुकाम मुसाफ़िर का ...
मैं भी बढ़ा हूँ आगे , पर ये बढ़ ना पाई !!

किस्से , कहानी , बातें संजोना है आदत इनकी ...
मैं ही लुटाता फिरूं , पर ये लुट ना पाईं !!

कैसी है बंदिश " सुखविंदर " ये असीम सी ...
मैं तो बंधा ही हूँ इनसे , ये भी खुल ना पाईं !!

सुखविंदर 🕊️✍️🌄✍️

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9 JUL AT 23:08

Why are they so far from me?
This question often
Rises deep within me...

Whenever I wish to be close to them,
Life somehow builds
Barriers unexpectedly.

Even when I long to meet them,
Fate pulls us apart —
And I end up angry at myself, silently.

Though miles may lie between us,
Still, somehow,
They live forever close to my heart… quietly.

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8 JUL AT 23:34

"Don't Know Why..."

My eyes are moist,
And my heart feels blue,
Don’t know why today,
I’m so restless thinking of you…

Your voice echoes softly
In the silence of my ears,
Your name lingers gently
On the edge of my tears…

Don’t know why this heart
Is craving to see your face,
In every smile I witness,
I find your tender grace…

Every word I pen
Tells your untold tale,
Don’t know why your presence
I feel in every detail..

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8 JUL AT 21:53

पापा ने कहा था बेटा !

अपना पेट तो कुत्ता भी पाल लेता है,
उस दिन बात करना जब परिवार पाल सको...!!

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8 JUL AT 19:54

जिनके होते हैं आशियाने बहुत,
वही अक्सर बेसहारे होते हैं,
चलना वही सीखते हैं वक्त की आंधियों में,
जिन्हें थामने वाले किनारे नहीं होते,
बाक़ी ज़िंदगी में रिश्तों के रंग,
अक्सर सिर्फ़ दिखावे के सहारे होते हैं।

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8 JUL AT 16:06

The only language , the universe is truly connected is " Signs "

🕊️✍️🌄✍️

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