जिनके होते हैं आशियाने बहुत,
वही अक्सर बेसहारे होते हैं,
चलना वही सीखते हैं वक्त की आंधियों में,
जिन्हें थामने वाले किनारे नहीं होते,
बाक़ी ज़िंदगी में रिश्तों के रंग,
अक्सर सिर्फ़ दिखावे के सहारे होते हैं।-
अपना लेखन,अपनी कला
बस जो मन में आता है,
उसे पन्नों में उतार दिया करते हैं। read more
कुछ हक़ीक़त हूं, कुछ ख़्वाबों की ताबीर हूं
ज़माने से अजनबी, बस अपनी ही तस्वीर हूं
कभी था बेफिक्र, ज़िम्मेदारियों से फ़ारिग
अब हालात ने बना दिया ग़म की तहरीर हूं-
मेरे ख्यालों में महकता गुलाब हो तुम
मेरी ख्वाइशों का जवाब हो तुम
नहीं है तुम सा कोई इस जहां में
किसी कोहिनूर की तरह नायाब हो तुम
मैं कैसे बया करू तुम्हे अपने लफ्जों से
बस यहीं कहूंगा लाजवाब हो तुम-
खुद को मुजाहिद हमें काफिर बताते हो तुम कैसे इंसान हो
अरजे जन्नत को बनाकर जहन्नुम फिर खुदा से जन्नत की दुआ मांगते हो-
मिलेगा तुम्हें धर्म के नाम पर किए छल का फल
याद आएगा जब तुम्हें चिनाब सिंधु का जल
मारेंगे इतना होश नहीं आएगा पहलगाम की धरती
को तुम्हारे आंसुओं से धोया जाएगा
कभी कारगिल कभी पुलवामा हमने तुमसे देखी
केवल गद्दारी है अपने आकाओं की जो तुमने
की है हिमायत अब हिमायती का फर्ज निभाने की बारी है
बताने को भारतीयों का धर्म तुम्हें भारत भूमि
पर खड़ी अविजित खाकी है
और ये "ऑपरेशन सिंदूर" तो एक बस झांकी थी
अभी तो तुमसे "POK" लेना भी बाकी है-
finally I realized,
"I can find her in only one nation, & that's in my imagination"-
बहिश्त पाने को वो करते इंसानियत का कत्लेआम
आतंकवाद का धर्म जानना हो तो देख लो पहलगाम-
"Keep tried, never tired, and one day you will become everyone's source of pride"
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वो थे हमारे लिए खास पर उनका कोई और खास था हम वाकिफ थे उनके खास से पर शायद हमारे साजन को रखना है राज था,
हम फिर भी करना चाहते थे उनसे एक दफा हाल ए बया पर उनके हमसे दूर हो जाने से डरते थे हम चाहते थे उन्हें बेहद पर उनके सामने अपनी काबिलियत से डरते थे,
हमने चाहा था उन्हें हमसफर बनाना पर उनसे लिखी हमारी कुछ ही मुलाकाते थी,
बेशक लकीरों से हार गया मैं कुदरत को मंजूर उनके नाम किसी और साथ था हां कुछ रह गए मेरे ख्वाब अधूरे... मेरी एकतरफा मोहब्बत का यही अंजाम था ।-
अजनबियों से मुलाकातें मोहब्बत की इब्तदा नहीं होती,
"मुलाकातों में अक्सर मुगालता हो जाया करती है"-