अध्याय - 37
तुम्हें पता होना चाहिए ताले के बारे मे, हर बुद्धिमत जीवन ताले मे जकड़ा हुआ ज्ञान और गुण की खोज में अलग-अलग प्रकार के ताले की चाभी को ज्ञान पिपासु बन कर कहीं खो दिया है!
मैं कहूं की जब तुम उस स्थिति में पहुंच जाओ जहां पाने की इच्छा और खोने का डर ही खत्म हो जाएं तो क्या तुम ईश्वर तत्व को नहीं जान पाओगे ? क्या चाहिए तुम्हें जो यहां पर नहीं है या क्या नहीं है यहां जो तुम्हें चाहिए, अपनी आंखें खोलकर देखो हर तरफ सब तुम्हारा ही तो है, भौतिक बोध वाले व्यक्ति तुम्हें हमेशा यह बोध कराएंगे की यह मेरा है और तुम्हें पता तो होना ही चाहिए की यह सवाल केवल और केवल पेट भरने तक का ही है अतः आज की परिस्थिति यह है की भौतिक बोध ने बंधुत्व के बंधन को तोड़ दिया है, क्या लगता है तुम्हें तुम्हारे पेट भरने के उपरांत तुम्हें सुकून नहीं मिलता या इस पृथ्वी पर रहने वाले दूसरे जंतुओं का पेट नहीं भरता, सोचना जो लड़ाई केवल पेट भरने तक का ही है वह कितना हावी है, जंगल में रहने वाले शेर ने तो कभी जंगल पर अपना दावा नहीं ठोका या कोर्ट के दरवाजे नहीं खटखटाएं की अमुक प्राणी ने जंगल पर कब्जा कर लिया है और उसे न्याय चाहिए, ऐसा हुआ हो तो बताना,नहीं हुआ ना?
फिर तुम कौन से बुद्धिमत्ता का चोगा पहने फिर रहे हो, कौन सा ताला तुमने लगाया है, क्या तुम्हें कब्जा करने के लिए ईश्वर ने बनाया था, सोचना ?
© - अंकु पाराशर
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