लड़खड़ाते हैं जो कभी,
संभल भी जाते हैं खुद से ही,
आज इस दौर में लोगों को,
ख़ुद का ही गुरु बनना पड़ता है।-
#passionate_writer
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लड़खड़ाते हैं जो कभी,
संभल भी जाते हैं खुद से ही,
आज इस दौर में लोगों को,
ख़ुद का ही गुरु बनना पड़ता है।-
लोग समझ लेते हैं दूसरों को, चंद लम्हों में
मुझे ख़ुद को समझने में ही बरसों लग गए...-
आज तो तुमने मुझे यूॅं नज़रअंदाज़ किया है,
अंदाज़ा है कि कल तुम शायद नज़रें भी न मिला पाओ मुझसे।
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Sadly, we measure happiness only by the financial meter of one's life — but life is far beyond that.
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If you don't feel good, even by doing what your mind says, you are not doing the right thing!
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इक दफ़ा में भुला ना पाओगी तुम मुझे,
सच्चा आशिक़ हूँ, किश्तों में याद आऊँगा।-