वो एक लड़की हैं, तो क्या ये उसकी गलती हैं....
जब वो माँ के कोख में आई,
तो दुश्मन बनी खुद उसकी ही खुदाई,
मार दिया जाता हैं उसे कोख में ही,
गर बच गई तो क्या करेगी जीकर,
कितना खर्च करवाएगी वो पढ़-लिखकर.....
कहाँ से जुटाएंगे दहेज़ उसकी खातिर,
कौन थामेगा उसका हाथ,
क्या करेगी वो, चली जायेगी एक दिन ससुराल,
बस कुछ नहीं, वहां सहेगी तकलीफ वहां मिलेगा उसका दर्द.....
क्यों हर बार सिर्फ लड़की ही, पैदा होने की गलती करती हैं....
क्यों वो गलती करती हैं किसी को जन्म देने की....
कोई खता नहीं उसका, कोई गुनाह नहीं उसका....
हां वो एक लड़की हैं....!
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