किसी को वचन ने मारा,किसी को प्रण ने,
कितनी लाशें बिछी है अब इस रण मे,
किसी को जिद्द ने मारा,किसी को अंहकार ने,
असली हत्यारे तो यही थे,
बस जरा उठने का काम किया तलवार ने,
किसी को बल ने मारा,किसी को छल ने,
हर कोई गिरा है इसी धरती पे,
कोई राजा तख्त से,कोई बरसात बादल से,
लहु लहु अब सींच दिया है कण कण मे,
कांटे ही उगेंगे बस अब इस रण मे ।।
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