हाँ राजनीति समझ रहा हूँ
आहत हूँ पर सह रहा हूँ
कुरसी के खेल में, 'मैं हिन्दुस्तानी'
जाति-धर्म में बँटकर जी रहा हूँ
मै आम नागरिक देश का
घूँट खून के पी रहा हूँ
राजनीति की चक्की में
एक बार फिर से पिस रहा हूँ
लोकतंत्र से 'छलतंत्र'
बनते देखकर, भी मै रह रहा हूँ
कैसी विडम्बना है मेरी
कि सियासत के इस खेल में
मौहरा सा मैं बन रहा हूँ
© ऐश्वर्या गौतम (ishu)
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