हर युग में नारायण आते हैं
हमें हमारे कर्तव्य से अवगत कराते हैं
कभी मृत्स्यवतार में भक्तों की पीड़ा हरते हैं
तो कभी कूर्म रूप में मंदराचल का बोझ उठाते हैं
वाराह रूप में तो कभी वामन रूप में
तीन पग की लीला रचाते हैं
हर युग में नारायण आते हैं
नरसिंह रूप में प्रहलाद के प्राण बचाते हैं
कभी कृष्ण बन निधिवन में रास रचाते हैं
गीता की गरिमा बढ़ाते हैं
सारथी बन अर्जुन का मार्गदर्शन कर जाते हैं
हर युग में नारायण आते हैं
जहां राम बन धर्म स्थापित करते हैं
तो वहीं नटखट कृष्ण बन प्रेम का उच्चारण करते हैं
कभी रूप मोहनी धारण कर भस्मासुर को भस्म करते हैं
तो कभी परशुराम बन ज्ञान और बल का महत्व समझाते हैं
हर युग में नारायण आते हैं
हाथ में मार्जनी लिए बुद्ध अवतार में जीव हिंसा को रोकने आते हैं
हर युग में नारायण आते हैं
हमें हमारे कर्तव्य से अवगत कराते हैं
क्रोध और भय से मुक्त कराते हैं
धर्मास्त स्थापित कर जाते हैं॥-
🍫 Happy 🍻 B-day 🍾" #Vishnu"🍫🤗
नाम Vishnu है तेरा
तेरे रूप भी अनेक है।
" #Bestii" westii मुझे समझ नहीं आता
पर तू मेरे " #Best Friends" में से एक है
🙂🙂😊..-
अयोध्या में सभी देव आये है, साथ ही महादेव को लाए हैं, बैठ हनुमान के कन्धों पर देखो श्री राम आए हैं!
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पुरुष ने दुःख को देखकर
बुद्ध होना चाहा।
इधर
स्त्री दुःख से
एक मज़बूत स्त्री हो गयी।
वो जानती थी
दुनिया बुद्ध होने से नहीं
उसके स्त्री रहने से ही क़ायम रहेगी।
और
मैं जानता था
बुद्ध होने से कई गुणा कठिन हैं
स्त्री होना।-
भटक रहा था अजनबी राहों पर
खुद में खुद को ढूंढ रहा हूँ
मैने खुद को क्या बना लिया था
खुद से ही सवाल कर रहा हूँ-
जब निकाल ही दिया है हमे अपनी जिन्दागी से
तो बार बार क्यों लौट कर आ जाते हो
जितना भुलाने की कोशिश करता हूँ मै तुम्हे
तुम उतना ही क्यों याद आते हो
मत आया करो लौट कर ये दिल पागल है
तुमसे बात करने को मचल जाता है
कैसे समझू इस पागल दिल को
तड़प उठता है धड़कना भूल जाता है-
जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधुसुता प्रिय कंता॥
पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई।
जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई॥-
तोड़ कर मेरा दिल मेरा मेहबूब चैन से सो रहा है
यहां मेरी तड़प देख कर आज मेरे साथ ये आसमान भी रो रहा है-
ये दिल थोड़ा सब्र रख
एक उम्मीद है अब भी उसके लौट आने की
मोहब्बत ही तो की थी कोई गुनाह तो नही
फिर क्यों छीन ली बजह मेरे मुस्कुराने की
आज भी तेरा ही जिक्र तेरी ही फिक्र
न परबाह है मुझे खुद की न ही इस जमाने की
जान रूह से मोहब्बत है मुझे तेरी
कोई ख्वाईश नही तेरे जिस्म को पाने की
ये दिल थोड़ा सब्र रख
एक उम्मीद है अब भी उसके लौट आने की
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