इस समाज ने दुबारा सजाया,
मगर इस दफ़ा फीका सजाया,
रंग छीन कर बेरंग बनाया,
वस्त्र पर उसके सफेद रंग है चढ़ाया,
शोभा था श्रृंगार जिसके रूप का,
फिर भी नियमो ने श्रृंगार विहीन बनाया,
नाम दे विधवा का समाज ने उसको खूब रुलाया,
बदल दिया गया अस्तित्व जीवन का,
हर खुशहाल पल से तिरस्कृत किया,
मान मनहूस कदमों को, शुभ कार्यों से दूर किया,
क्यों समाज ने नारी के साथ ही ऐसा किया?
बदला रूप कभी देखा नहीं किसी पुरुष का,
ना देखा कभी सफेद लिबाज़ में लिपटा हुआ
विधवा जीवन क्यों देखा एक नारी का ही,
क्यों पुरुष का कोई विधवा जीवन ना बना हुआ?
सुजाता कश्यप
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सात जन्मों का साथी था
सोलह सिंगार उसके लिए रचाती थी
ना जाने किसकी लगी नजर
अब उसकी विधवा कहलाती ।।
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आज फिर उस शहीद की विधवा रोइ होगी
जब उसके दर चूड़ी बेचने वाली आई होगी।-
होली है आज यह सब कहते है।
पर है ऐसा भी कोई जिसकी ज़िन्दगी में
रंगों का नामो निशान न रहा।
त्योंहार है यह होली,, पर
उस विधवा के लिए यह अब त्योंहार न रहा।-
विधवा की व्यथा
अनुशीर्षक मे पढ़िए 📝
बड़े गमो से घिरी हुई है, और ना रुलाओ उसे,
उसे पता है वो, विधवा हो गयी है,, बार बार ना याद दिलाओ उसे,,-
विधवा
हाँ, तुम्हारी याद बहुत आती है।
तुम्हारे बिन रह भी नहीं पाती हूं,
पर जरूरी है क्या?
मैं जीते जी सफेद कफन ओढ़ कर चलु।
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सफेद सारी
फेंका जो किसीने लाल सिंदूर उसका
डर सा गया तन और मन उसका
सन्नाटे मैं भी शोर हुआ
चूड़ियों का उसकी टूटना जब शुरू हुआ
होगये बंद सब मंदिर के दरवाजे
सफ़ेद साड़ी का कपडा जब उसे पहनाया गया
विधवा कह कर उसे कई सालो तक रुलाया गया-
शहीदों ने दिन रात जाग सीमा को
बचाया है...
दरिंदों ने उन्हें खून से नहला
सुहागन को विधवा बनाया है..-
तो ये कुछ बातें एक कब्र में दफ़न एक प्रेमी अपनी प्रेमिका से अपनी पत्नी से बोल रहा हैं!कृपया ज़रा ध्यान से CAPTION पढ़े समय हो तभी;नहीं तो आगे बढ़े🙏।
तू लाल जोड़े में तो वाकई खूबसूरत लगती हैं,♥️
आज तुझे पहली बार सफ़ेद स्वेत रंग में देखा तू तो उसमें भी प्यारी सी देवी की मूरत लगती हैं।😍-
विधवा
इजाजत हो तो फिर से तेरी सूनी मांग भर दूँ क्या
जो बाकी है मेरी जिंदगी सारी तेरे नाम कर दूं क्या
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