गोल रोटियाँ बनाने की कोशिश में हर बार हार जाना,
आइसक्रीम वाले के इंतजार में बार बार बाहर जाना
अपने घर की ख्वाहिश में एक एक ईंट छिपा कर रखना
चिड़ियाँ की घोंसला देख चिड़ियों के आने का इंतजार करना
दादाजी के पैसे और दादी का संदूक में छिपा प्यार चुपके से निकलना।
मैने बदलाव देखा है,
उस चिड़ियाँ की घोंसले में
उस संदूक की टूटे पैरों में
और दादाजी को आसमां में
टिमटिमाते तारों के बीच में
मैने बदलाव देखा है,
खुद में,
उन गोल
रोटियों में,
टूटते बिखरते
मोतियों में
रंगीली दुनिया के
बेरंग सुर्खियों में
नदियों में
लहरों में
खुद के हाथों से बनी
फिंकी सब्जियों में
पापा की डाँट में
माँ के फटकार में
मैने बदलाव देखा है
खुद में।
हां खुद में।
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