दिखावे के इस दौर में
कुछ नेकियां ऐसी करो
जिनका गवाह उस खुदा के अलावा
कोई ना हो ...-
कोई नहीं सुनेगा हमारी बात प्रिये क्युकि कलयुग के असर ने अंधा औऱ बहरा कर दिया लोगों को अब किसी के दर्द से दर्द भी नहीं होता लोगों को
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तुम चाहे कुछ भी हो,
लेकिन अपनी नज़रों में हमेशा ऊंचा ही रहना ।
ये ज़माना तुम्हें कितना भी गिराये,
तुम अपनी नज़रों में कभी मत गिरना ।
ये ज़माना है तुमपे नज़रें गडाये,
तुम पर ऊंगली भी उठायेगा,
कोसेगा भी ये तुम्हें हर बात पे,
और कितना जलील भी करेगा ।
मिटाने की तुम्हें कोशिश करेगा ये,
कभी उम्मीद मत हारना,
रूलाने कि तुम्हें कोशिश करेगा ये,
खुद हंस के तुम दुसरों को हंसाना ।
परिस्थिति चाहे कैसी हो,
खुद से हमेशा प्रेम करना,
टुट कर चाहे बिखर जाओ,
अहिस्ता खुद को संभालते रहना ।
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आज कल के इश्क में वो पहले वाली बात कहाँ....
आज कल ये कुछ ही दिन में जिस्म से लिपट जाती है और पहले तो ये नज़र से नज़र मिले तो भी झुक जाती थी💕-
समझना आसान तो है....पर मुश्किल भी ज़रा सा ।
कभी ग़म कि जुबानी,कभी प्रेम की अभिलाषा,
खुशी के भी कुछ पल,कुछ यादें ये रुआंसा ।
दर्द-ए-जुदाई यहां,इंतज़ार में मन प्यासा,
हार जीत के इस जंग में,कुछ बिखरती हुई आशा ।
तन्हाई हैं ये अपने, कुछ टुटते हुए सपने,
अतृप्त इस मन की लाखों हैं पिपासा ।
कोशिश तुम भी कर लो, पढ सकोगे तो पढ लो,
आंसुओं कि भाषा नहीं ये जिंदगी की परिभाषा ।-
जब मैंने तुम्हें पा लिया है ।
शरीर से ना सही, आत्मा में बसा लिया है ।
ये जरूरी तो नहीं कि तुम सामने ही रहो,
दूर हो के भी मैंने तुम्हारा साथ पा लिया है ।
मिलन जरूरी नहीं इस अनंत प्रेम में,
अपने अंतर्मन में मैंने तुम्हें जी लिया है ।-
झोंका पूरवईयां छु के जो गुजरे
जैसे तेरा पैगाम लाया है
आंखों में ये आंसू आये दिन रैना
शायद तेरे होने का अहसास है.....
बरसात वो सावन का
या हो वो बेमौसम का
भीगा जाये जो मुझको
वो तेरी याद है.....
फागुन की रंगीन बौछार
फूलों का वो वसंत बहार
या कभी होठों पे ये हल्की मुस्कान
मुझको यकीन ये तेरा प्यार है.....
ना कटे दिन मेरे ना कटे रात
हर पल मन में तेरी ही बात
उम्मीद ये....जो हाल मेरा
वो भी तेरा हाल है.....
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