भरम है तेरे रहने का सब टूट जाना है ।
छोड़कर यह शहर जाना ,सब छूट जाना है।
तमाम चलती फिरती मीनारों के बीच
उसका चेहरा तलाशना ...
एक घर के लिए
आदमी का, किराएदार हो जाना है ..!!
सोचा,बहुत सोचा मैंने ,छोड़ दूं सब कुछ, वापस मुड़ जाऊं
वापस मुड़कर जाना, अभी बहुत दूर जाना है..!!
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