Aaj dekha chaand maine
Dharti par
Door se hi tajjub hua
Ye dekh kar..
Poochhna chaaha usse
To batane se mukar gaya
Jeb se nikala ek khat usne
Aur use aankhon se lagaa kar
Fir fafak padaa...!!
Thade moti garm aansuon
se lipat kar bah rahe the
Us khat se kuchh Peele
Purane patte bhi gir rahe the...
Maajra badaa sangeen tha
Kuchh boojh na raha tha...
Vo jamti him ke taap sa
Dahkti dharti ko cheer raha tha...!!-
उसे स्वीकारने से पीछे ना हटना
कर गुज़रे हो गर कुछ ऐसा तो अपना सर नीचा मत रखना
जो काम सबने किया था बहर' वो काम तुम भी करना
मगर जो वे दे ना सके वो अंज़ाम उसे तुम देना
जो कर न सको तुम ऐसा तो पीछे पहले ही हट जाना
ना करना वो गुनाह जिससे पार कभी ना पाना
तुम बेहतर समझते हो, इस दोगली सी दुनिया को
इस दोगलेपन से बस तुम खुद को बचा जाना।-
उसका उड़ना ना जायज है
सवाल करना ना जायज़ हैं
उसका हंसना ना जायज़ है
उसका बोलना ना जायज़ है
उसका गुस्सा ना जायज़ है
उसका पैशन ना जायज़ है
उसके कपड़े ना जायज़ है
उसका काम पर जाना ना जायज़ है
उसकी मर्ज़ी ना जायज़ है।
कहने वाले लोगों
तुम्हारी नज़र में तो लड़की का,
लड़की होना ही कब जायज़ है ?
सिर्फ़ उसकी चुप्पी को अब तक देखने वालों
ज़रा उसकी आंखों में भी झांक कर देखो
तुम्हारे हर ना जायज़ सवाल का, वो जायज़ जवाब है।-
अलंकारों की धरती पर सादगी का आना
मेरा उसे देखना और देखते रह जाना
सांवरे की धरती पर सांवरे का आना
सांवरा बनना और सांवरा हो जाना
व्यस्ततम क्षणों में खुद के लिए समय ना मिल पाना
फिर भी फोन की हर रिंग पर खयाल तुम्हारा आना-
भरम है तेरे रहने का सब टूट जाना है ।
छोड़कर यह शहर जाना ,सब छूट जाना है।
तमाम चलती फिरती मीनारों के बीच
उसका चेहरा तलाशना ...
एक घर के लिए
आदमी का, किराएदार हो जाना है ..!!
सोचा,बहुत सोचा मैंने ,छोड़ दूं सब कुछ, वापस मुड़ जाऊं
वापस मुड़कर जाना, अभी बहुत दूर जाना है..!!
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गरल पीकर देवताओं को आभास कराया था
देवत्व क्या होता है, तब समझ आया था
क्या क्षमता होती है और क्या विषमता
धैर्य क्या होता है और क्या अग्निपरीक्षा
आश्चर्य में थी धरा देख कर ये रुप
दमक रहे नीलकंठ, त्रिनेत्र स्वरूप
हे देवाधिदेव, अपनी कृपा हम सभी पर बनाएं रखें।
नव वर्ष मंगलमय हो
नव हर्ष मंगलमय हो
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दीगर है ,ये बात कोई और
कोई और ही बलाया लगती है ।
इस उलझन में सामान्य से प्रश्नों की,
असामान्य झड़ी लगती है।
तुम सही करते हो ,
प्रवंचना से बच के ;
मेरे मन के बाणों की तो
मेरे भीतर तक सेज सजती है..!!-
समय के साथ
हमारा मौन
हमारे साथ ।
साध कर दोनों
बैठ रहे ,
देखो नियति;
परखो भाग्य ।
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