अंग्रेजी हुकूमत के सामने घुटने टेकते "वीर सावरकर" की एक और तस्वीर।😸
नमन है।🙏-
सावरकर बनने के लिये समुद्र में कूदना पडता है,अंडमान के काले पानी मे हड्डियां गलानी पडती है । बैंकॉक की मसाज से सावरकर नहीं बनते ।😎
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इतिहास बनाने का ज़ोर नहीं , तो इतिहास ही बदल दिया __
चंद सरकारी कायरों ने "वीर" का नाम बदल दिया..!-
चिंतन कीजिए...* तीस वर्ष का पति जेल की सलाखों के भीतर खड़ा है और बाहर उसकी वह युवा पत्नी खड़ी है, जिसका बच्चा हाल ही में मृत हुआ है...
इस बात की पूरी संभावना है कि अब शायद इस जन्म में इन पति-पत्नी की भेंट न हो. ऐसे कठिन समय पर इन दोनों ने क्या बातचीत की होगी. कल्पना मात्र से आप सिहर उठे ना??
Read caption story of veer sawarkar-
शब्द हमारे अखिल रहे सिर्फ पानी ही तो काला था
हर नए अंकुर को किसी अँधेरे ने ही पाला था ।-
स्वतः जगणे व राष्ट्र जगविणे हे आपले कर्तव्य आहे त्याकरता हिंसा करावी लागली तरी ती पुण्यकारकच होय.
- स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर-
"लंदन जा ब्रिटिश-राज रे खिलाफ आंदोलन उठायो,
विदेशी कपड़ां री होली जला स्वदेशी रो नारो लगायो,
1857 री क्रांति ने पहलो "स्वाधीनता संग्राम" बतायो,
अशो वीरां को वीर सावरकर महान देशभक्त कहलायो"-
ब्राह्मणों से चाण्डाल तक सारे के सारे, हिन्दू समाज की हड्डियों में प्रवेश कर, यह जाति का अहंकार उसे चूस रहा है और पूरा हिन्दू समाज इस जाति अहंकारगत द्वेष के कारण जाति कलह के यक्ष्मा की प्रबलता से जीर्ण शीर्ण हो गया है।
वीर सावरकर-
वीर सावरकर माने...
सावरकर माने तेज , सावरकर माने त्याग
सावरकर माने तप , सावरकर माने तथ्य
सावरकर माने तर्क , सावरकर माने तारूण्य
सावरकर माने तीर , सावरकर माने तलवार
सावरकर माने तिलमिलाहत, तलमराती हुई आत्मा, तितीक्षा , तीखापन सावरकर माने समग्रता...
स्वातंत्र्यवीर गुरुदेव वीर सावरकर को उनकी
जन्मतिथि पर कोटिशः नमन वन्दन।
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वीर सावरकर
एक कवि थे सावरकर भी
पर शायद तुम उन्हें ना समझ पाओगे,
एक क्रांतिकारी थे सावरकर भी
पर शायद तुम उनको ये पद दे नही पाओगे,
एक देश प्रेमी थे सावरकर भी
पर शायद तुम उनके प्रेम को परख ना पाओगे,
जेल में रहे थे सावरकर भी
पर शायद तुम उनको महान कह ना पाओगे,
क्युकी महान तो यहां अकबर को बताया
इतिहास तो यहां हमको गुलामी का पढ़ाया,
क्युकी किताबो में तो यहां बस गांधी नेहरू को पढ़ाया
बाकि सबको क्रांतिकारी कह के भी नहीं बुलाया,
कैसे जानेंगे हम सावरकर महान को
जिनके सच को हमसे है हरदम छिपाया।
हिमांशु राय-