होगा कोहरा जमाने के लिए बहुत
मुझे तो अब भी तेरी तस्वीर साफ दिखाई दे रही है।-
सूनेपन के *परिभव से, दिल बच्चा हो जाएगा।
हर पल उसको ना याद करो, दिल कच्चा हो जाएगा।।
*disrespect-
तुम से लिपटे तो मरेंगे ही,
सोच रहे हैं तुम्हें देखकर क्या होगा;
है शिकायत की आरजू बहुत,
मगर ये करके भी क्या होगा?-
सहज हरदीप की अपनी रवानी हो न पाती
तुम्हारे बिन जीवन की कहानी हो न पाती।
महज सब किस्मत की रेखा से उलझते
तुम्हारे बिन कोई और निशानी हो न पाती!
शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं
प्रणाम🙏 अभिनंदन 💐और नमन।-
असर बुजुर्गों की नेमतों का, हमारे अंदर से झांकता है,
पुरानी नदियों का मीठा पानी, नए समंदर से झांकता है।
गले में मां ने पहन रखे हैं, महीन धागे में चंद मोती,
हमारी गर्दिश का हर सितारा, उस एक ज़ेवर से झांकता है।
थके पिता का उदास चेहरा, उभर रहा है यूं मेरे दिल में ,
कि प्यासे बादल का अक्स जैसे, किसी सरोवर से झांकता है।
आलोक श्रीवास्तव जी-
व्यवहार में हम भाई के अर्थ का
कितना ही दुरुपयोग करें, लेकिन
उसकी भावना में जो पवित्रता है,
वह हमारी कालिमा से कभी मलिन नहीं होती।
(गोदान- मुंशी प्रेमचंद जी)-
यदि तुम शक्ति बनों जीवन की स्वागत आओ प्यार करें हम
यदि तुम भक्ति बनो जीवन की स्वागत आओ प्यार करें हम
लेकिन अगर प्यार के माने तुममें सीमित हो मिट जाना
लेकिन अगर प्यार के माने सिसक-सिसक मन में घुट जाना
तो बस मैं घुट कर मिट जाऊँ इतना दुर्बल हृदय नहीं यह
अगर प्यार कमजोरी है तो विदा-प्यार का समय नहीं यह !!
आद्यंत / धर्मवीर भारती जी-
इस शहर में अंधेरों की बात हो रही है ।
तो समझो किसी की आंख में रात हो रही है।।
उजला हुआ है होठों का शौक हर जुबां पर ।
शायद अब मोहब्बत की मात हो रही है।।
तुमने दिखाए थे जो वो उजले हुए सितारे ।
देखो उनकी किस्मत में रात हो रही है।।
एक शमा की कश्म खाकर परवाना जल गया।
देखो उसकी मौत पर बरसात हो रही है।।
तुम ओढ़ोगे नकाब में पर वह काम नहीं आएंगी।
हर बुराई अब रफ्ता रफ्ता बेनकाब हो रही है।।-
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि ।
मन्त्रपूते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥
भावार्थ :
सिद्धि, बुद्धि, भोग और मोक्ष देने वाली हे मन्त्रपूत भगवति महालक्ष्मी ! तुम्हें सदा प्रणाम है ।
🌸 💰धनतेरस पर्व की शुभकामनाएं 🙏
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