जिंदगी तेरी ये
सज़ा क्या कम है कि
लोग अब ख़ैरियत ही
नहीं पूछते हमारी
इन आंखों में बसी
वीरानी देखकर..-
Veerani 💭
वीरानी साफ झलकती है कूचे में मेरे,नुक्कड़ से
एक अरसा हो गया वो दरीचे से अपने, झाँका तक नही।-
Dil ki veeraniyan rahe aabad
Saja rahe teri yado ka khandhar(खंडहर)mera....-
दिल में जलते उम्मीदों
के चिराग़ को बुझाएं कैसे,
सब जतन कर लिए अब
तुम ही बताओ तुम्हें भूलाएं कैसे,
थकने लगे हैं अब खुद से ही भागते-भागते,
इस लामहदूद-सफर की मंज़िल पाएं कैसे,
रात की स्याही फैली है हर जगह, हर सुं,
किसी और से क्या शिक्वा परछाई भी
अब नहीं है रु-ब-रु,
दिल की वीरानियों में अब जिएं तो जिएं कैसे,
अश्क़ों के समुन्दर को आँखों से उतरने से रोकें कैसे!-
तुम कह दो उन दर्द-ए-दीवारों से
यूँ मुझे न पहरों में रखा करें
तुम कह दो उन रुसवाइयों से
यूँ मुझे न सलवटों में जकड़ा करें
माना कि ................
तेरी खलिश आज भी है इन तन्हाईयों में
पर यूँ मुझे न वीरानियों में घेरा करें-
रात के हर सन्नाटे में
सदियों की सी चुप है
न जाने सुबह इतनी
बातूनी क्यों होती है-
Mai wahi veeran dil hu
Jisse tum aabad rakhte thy
Mai wahi shamshaan basti hu
Jaha tum tehwaar manaya karte thy
Haan, mai wahi sharafat hu
Jisse tum nadaan banaya krte thy-
(ग़ज़ल का एक शे'र)
यहाँ बस्ता नहीं कोई बशर है
शिकस्ता हाल हूँ वीराँ शहर हूँ।
یہاں بستا نہیں کوئی بشر ہے
شکستہ حال ہوں ویراں شہر ہوں
1222 1222 122-
Main soota nahi aaj kal
Neend ki ek aas si rehti hai
Band pade iss dil ko
Teri dhadkon ki talaash si rehti hai
Aakhain bhi thak jaati hai
Iss qudar teri raah taake yeh behti hai
Baatain karna choad chuke hai
Ab khaamoshiyaan hi
Hazaaron baatain kehti hai
Toot chuke hum jo jude hue thae
Khat me dabe jazbaaton ke talae
yeh rooh roz bhaut kuch sehti hai!!-