गर मिले सुकून तो राहत भी मिले
दिल-ए-बेज़ार को चाहत भी मिले
گر ملے سکون تو راحت بھی ملے
دِل بیزار کو چاہت بھی ملے-
भरी महफ़िल भी नहीं लगती सुहानी
जब दिल में ही बसी हो वीरानी
بھری محفل بهی نہیں لگتی سُہانی
جب دل میں ہی بسی ہو ویرانی-
बुत परस्ती को जो अज़ीम समझते हैं
हम उन्हें दौर-ए-क़दीम समझते हैं
بُت پرستی کو جو عظیم سمجھتے ہیں
ہم انہیں دورِ قدیم سمجھتے ہیں-
हमीं ने पाले ख़्वाब सारे
हमीं को गिला ग़ैरों से है
ہمیں نے پالے خواب سارے
ہمیں کو گِلہ غیروں سے ہے-
लिखने वाले तो लिख जायेंगे इक किताब
पढ़ने वाले भी क्या पढ़ पायेंगे वो किताब
माना कि इक शेर ही लिखा होगा उस ने
लिखा होगा पर ज़िन्दगी की इक किताब
لکھنے والے تو لکھ جائیں گے اِک کتاب
پڑھنے والے بهی کیا پڑھ پائیں گے وہ کتاب
مانا کہ اک شعر ہی لکھا ہوگا اس نے
لکھا ہوگا پر زِندگی کی اک کتاب-
ڈرنے والے خُدا سے ڈرتے ہیں
محبوبِ خدا سے ڈرتے ہیں
وہ مومن ہی کیا مومن
جو مخلوقِ خدا سے ڈرتے ہیں
डरने वाले ख़ुदा से डरते हैं
महबूब-ए-ख़ुदा से डरते हैं
वो मोमिन ही क्या मोमिन
जो मखलूक़-ए-ख़ुदा से डरते हैं
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Zindagi ki apni ek alag bhasha hai
Jo kitabon ki paribhasha se bilkul pare hai.-
उतर गए दिल से, दिल में बसने वाले
अब कहाँ बसेंगे, दिल से उतरने वाले
اتر گئے دل سے، دل میں بسنے والے
اب کہاں بسینگے، دل سے اترنے والے
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मोम न जानो मुझे, पत्थर हूँ मैं
बहुत वक़्त लगा है ख़ुद को तराशने में
موم نہ جانو مجھے، پتھر ہوں میں
بہت وقت لگا ہے خود کو تراشنے میں
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" दोस्त "
ये दोस्त क्या होते हैं?
कौन होते हैं?
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मालूम नहीं
कभी बनाया नहीं
किसी को दोस्त माना नहीं
कोई बना नहीं
कभी महसूस किया नहीं
मुझे क्या मालूम ये दोस्त क्या होते हैं?
आप ही बताएं ये दोस्त क्या होते हैं?
और क्या ये सच में होते हैं?
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शायद दोस्त वो होते हैं
जो हमारी ख़ामोशी तक को समझें
या जिनसे हम बेहिचक अपनी सारी बातें शेयर करते हैं
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तो फिर मेरे पास भी है ऐसा एक दोस्त
और वो सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरा " रब " ही है।-