पंद्रह सै चौवन विषै,कालिंदी के तीर,
सावन शुक्ला सप्तमी,तुलसी धरेउ शरीर।-
संस्कृत साहित्य के कवि शिरोमणि कालिदास जी,
और श्रीरामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास जी
दोनों ही में एक मूल समानता है।
प्रारंभ में कालिदास जी को महामूर्ख कहा जाता था,
और तुलसीदास जी सांसारिक विषयों में आसक्त थे।
कालिदास जी अपनी पत्नी विद्योत्तमा की फटकार के फलस्वरूप देवी की आराधना कर संस्कृत साहित्य के सूर्य बनकर चमके,
और तुलसीदास जी अपनी पत्नी द्वारा उलाहना दिए जाने पर राम नाम की खोज में निकले और सनातन धर्म को अद्वितीय ग्रंथ श्रीरामचरितमानस से अलंकृत किया। रामकथा का संचार जन -जन तक संभव हो सका।
Note- तो भाव यह है कि अगर पत्नी की फटकार पति को फर्श से अर्श तक पहुंचा देती है। तो अपनी पत्नी को सदैव गंभीरता से सुनना चाहिए।😁
🙏जय श्री राम 🙏
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TULSIDAS JAYANTI 3©9 JAI SHREE RAM
पत्नी से सीख प्रेम परिभाषा मन में प्रीत की बढ़ी अभिलाषा
तुलसी तन मन एक विधाता श्रीरामचरित मानस रची राखा-
तुलसी तेरे दोहों की, हर बात ही निराली,
जो जीवन मा उतरो भव पार उतर जाई।-
” नमन करू तुम चरणों में, राम चरित के रचेता।
तुलसीदास दोनों कर जोडू, राम ह्रदय विजेता।।”
” महाकाव्य रामचरित मानस के रचयिता
गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती की
आप सभी श्री रामभक्तों को
हार्दिक शुभकामनाएं ।।”-
तुलसी तुमको सौ बार नमन
तुमने देखा जो रामराज्य का स्वप्न सुखद, आलोक वरण,
बन गया वही इस जगती के साधन का पुरश्चरण ।
उसको पाने के लिए सतत गतिशील यहाँ पर लोकतंत्र,
बस 'राम-राज्य' स्थापन ही बन गया विश्व का मूल-मंत्र ।
अधुनातन सकल समस्या का प्रस्तुत जिसमें समुचित निदान,
जो शक्ति, शील, सौन्दर्य, मनुज-मर्यादा का मोहक वितान ।
जो है जीवन का श्रेय, प्रेय, नव-रस, यति, गति, लय, ताल, छन्द,
त्रयताप - शाप से पूर्ण मुक्ति, कल्याण-कलित, अविकल अमन्द ।
जो है मानवता का गौरव, भू-मण्डल का है शांति - अमन ।
हे संतशिरोमणि ! भक्त प्रवर तुलसी ! तुमको सौ बार नमन ।।
===रामेश्वर नाथ मिश्र'अनुरोध'-
तुलसी तेरे चरणों में शीश नित नवाउँ,
सद्बुद्धि दिजो हमे राम कृपा नित पाउँ।-
💕अपनी भारतीय संस्कृति को याद रखे और आगे बढ़ाए🙏
25 दिसम्बर को प्लास्टिक का पेड़ की नही, 24 घण्टे आक्सीजन देने तुलसी 🙏की पूजा करें
प्लास्टिक के पेड़ के आगे मोमबत्ती नही, तुलसी के आगे घी का 🪔दीपक जलाये
और वातावरण को शुध्द करें🏞️🌿
25 दिसम्बर को तुलसी का पूजन करे भारतीय संस्कृति का पूजन करे ।।
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तुलसी तुमको सौ बार नमन
बरसा कर चिंतन - विमल वारि, हर कर जग का दारुण प्रदाह,
हे युग के मनु ! तुमने दे दी, जन को दे दी जीने की नयी राह ।
तव मानस से जन-मानस की, नस - नस में भरकर रस अपार
फूटी करुणा की कालिन्दी, टूटी वीणा के जुड़े तार ।
मिट गए द्वेष, लुट गए पाप, उत्फुल्ल हुए सब जड़-चेतन ।
हे संतशिरोमणि ! भक्त प्रवर तुलसी ! तुमको सौ बार नमन ।।
===रामेश्वर नाथ मिश्र'अनुरोध'-