नव वर्ष की सुनहरी धूप से,
उज्ज्वल हो नव उमंग का प्रकाश ।
नव दीप प्रज्ज्वलित हो मन में,
नव उल्लास का हो दर्पण ।
नव आस का हृदय में हो वास,
नव विश्वास,
यही सुंदर-सुनहरी अरदास ।।-
अनुपम सौहार्द का रिश्ता।
हृदय की आनंदानुभूति,
सुगम जीवन की पाती ।
माँ और बेटी,
हृदय और आत्मा का,
अभिष्ट मेल।-
कौन कहता है, अब हम में वो दम नही ।
अजी ! औक़ात तो हम भी दिखा सकते है ।
पर है हम आज भी,
अपने सलीक़े से कम नही ।-
जो है सिख धर्म के संस्थापक,
सिख धर्म के प्रथम गुरु ।
कार्तिक पूर्णिमा है, जन्मदिवस जिनका ।
उत्साह उल्लसित यह महत्वपूर्ण पर्व ।
गुरु नानक देव जी, है नाम उनका ।
यह प्रकाश पर्व, शुभ जयंती दिवस ।
।। जय गुरु देव ।। जय गुरुनानक ।।-
Yes !
In summers we were love to play 'Ashta-Changa' game together.
That creates fun element in our daily life.
So memorable.-
तन्हाई मुझे घेरे है क्यों !
दिल कई कश्मकश से भरा है क्यों,
तेरा अब भी इंतज़ार, मुझे है क्यों !-
मैं उसके, वो मेरे साथ थी ।
छोटी सी मुलाकात थी,
चंद लम्हों हुई वो खास बात थी ।
मुझे मिली,
वो ज़िंदगी की हसीं सौग़ात थी ।-