परंतप मिश्र   (Parantap)
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Joined 15 August 2020


Joined 15 August 2020

तुलसी तुमको सौ बार नमन 🙏

हे काव्य-सूर्य ! हे कविकुल गुरु ! संस्कृति संरक्षक ! शोक-शमन !
हे संतशिरोमणि ! भक्त प्रवर तुलसी ! तुमको सौ बार नमन ।।
हे कव्य - कला के कलित कुञ्ज ! विज्ञानं - ज्ञान के चारु चमन ।
हे संतशिरोमणि ! भक्त प्रवर तुलसी ! तुमको सौ बार नमन ।।

तुमने देखा जो रामराज्य का स्वप्न सुखद, आलोक वरण,
बन गया वही इस जगती के साधन का पुरश्चरण ।
उसको पाने के लिए सतत गतिशील यहाँ पर लोकतंत्र,
बस 'राम-राज्य' स्थापन ही बन गया विश्व का मूल-मंत्र ।

अधुनातन सकल समस्या का प्रस्तुत जिसमें समुचित निदान,
जो शक्ति, शील, सौन्दर्य, मनुज-मर्यादा का मोहक वितान ।
जो है जीवन का श्रेय, प्रेय, नव-रस, यति, गति, लय, ताल, छन्द,
त्रयताप - शाप से पूर्ण मुक्ति, कल्याण-कलित, अविकल अमन्द ।

जो है मानवता का गौरव, भू-मण्डल का है शांति - अमन ।
हे संतशिरोमणि ! भक्त प्रवर तुलसी ! तुमको सौ बार नमन ।।
-----रामेश्वर नाथ मिश्र

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तुलसी तुमको सौ बार नमन

सम्पूर्ण वेद, उपनिषद, धर्म-शास्त्रों का लेकर सरस सार,
मानस का करके महत सृजन निज संस्कृत ली तुमने उबार ।
दासता - दंश से दीन, देश जड़ता से था प्रस्तरी भूत,
उसका तुमने उद्धार किया हे पुण्यात्मा ! हे सुधा- स्यूत !

बरसा कर चिंतन - विमल वारि, हर कर जग का दारुण प्रदाह,
हे युग के मनु ! तुमने दे दी, जन को दे दी जीने की नयी राह ।
तव मानस से जन-मानस की, नस - नस में भरकर रस अपार
फूटी करुणा की कालिन्दी, टूटी वीणा के जुड़े तार ।

मिट गए द्वेष, लुट गए पाप, उत्फुल्ल हुए सब जड़-चेतन ।
हे संतशिरोमणि ! भक्त प्रवर तुलसी ! तुमको सौ बार नमन ।।

हे जन के कवि ! जन हेतु रचा जो तुमने यह मानस महान,
उसमें संचित है भाव भव्य, रस, रीती, नीति, परमार्थ ज्ञान ।

------रामेश्वर नाथ मिश्र

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तुलसी तुमको सौ बार नमन🙏

हे काव्य-सूर्य ! हे कविकुल गुरु ! संस्कृति संरक्षक ! शोक-शमन !
हे संतशिरोमणि ! भक्त प्रवर तुलसी ! तुमको सौ बार नमन ।।

तुमने निज मानस मंथन से जो प्राप्त किया मोती महान ,
वह 'रामचरित' बन चमक रहा, ज्योतित जिससे सारा जहान ।
हे देवदूत ! हे तपःपूत ! सक्षम सपूत ! तारक तुलसी !
तुमसे भारत-भू धन्य हुई, तुमको पाकर 'हुलसी' हुलसी ।।

तेरा विचार आचार बना, आदर्श बना नूतन विधान ,
हे युगदृष्टा ! हे युग स्रष्टा ! हे युग नायक ! हे युग-निधान !
बहु भेद-भाव की ज्वाला से मानवता को सहसा निकाल,
तुमने अमृत का दान किया, हो गया विश्व मानव निहाल ।

हे भारत माँ के मणिकिरीट ! तुमने, पशुता का किया दमन ।
हे संतशिरोमणि ! भक्त प्रवर तुलसी ! तुमको सौ बार नमन ।।
------रामेश्वर नाथ मिश्र

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बहुरंङ्गी एकात्मकता का फाल्गुनी हर्षोत्सव, सरस पुण्यभूमि ब्रजमण्डल मे कृष्णप्रिया यमुना की उद्वेलित धारा में नृत्य करती अष्टछाप की नवधा भक्ति का शृंगारसिक्त मदनोत्सव, पावन अवधपुरी में पुण्यसलिला सरयू के जलराशि में प्रवाहित होते मर्यादित ज्ञान का लोकाभिराम रसोत्सव, अविनाशी काशी में मोक्षदायिनी गङ्गा के अविरल नाद से ध्वनित माहेश्वर सूत्र के वैराग्य का वसंतोत्सव, पारलौकिक-लौकिक जगत- जीव की नास्तिकता की आस्तिकता - आस्तिकता की नास्तिकता में व्याप्त माया से ब्रह्म का अद्वैत रङ्गोत्सव है। धूलिवंदन होलिकोत्सव की आत्मिक हितैषणा
----------✍🏼 परंतप मिश्र

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The year 2024 marks a momentous occasion in the annals of time, and we extend a warm welcome to the year 2025, which embodies the potential for infinite growth and development at the nexus of yesterday, today, and tomorrow. As we navigate the cusp of the old and new year, we cultivate a neutral mindset, embracing the emerging possibilities while remaining mindful of the past. We offer our heartfelt best wishes for the commencement of the Christian New Year.
-‐---‐-----✍️Parantap Mishra

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काल के प्रस्तर परिमाण पर अमिट छाप छोड़ते वर्ष 2024 का अवसान, वर्तमान के संगम से प्रवाहित होते आशा की लहरों में कुक्षिस्थ अपरिमित संभावनाएँ वर्ष 2025 का स्वागत कर रही हैं। वर्षांत व वर्षारंभ के संयोजन पल पर तटस्थ होकर नेपथ्य से आती पुकार को अनसुना न करते हुए आगत का स्वागत। ख्रीष्ट्रीय नववर्षारंभ मङ्गलेच्छा!
--------✍️ परंतप मिश्र

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विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों से उच्चतम शिक्षा, कुशल अर्थशास्त्री, रिजर्व बैंक के गवर्नर, भारत के वित्त मंत्री व सर्वश्रेष्ठ लोकतंत्र के प्रधान मंत्री #मनमोहन_सिंह का मौन सदा मुखर रहा। राजनीति के पथ पर मील का पत्थर। श्रद्धासुमन
---------✍️परंतप मिश्र

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अपरिमित नभ, असीमित महासागर व अशेष भूमि को नन्हें डगो से नाप लेने की क्षमता विकसित करते वामन-बाल-गोपाल को बालदिवस की उज्जवल कामनाएं।
------परंतप मिश्र
१४ नवम्बर २०२४

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तमसो मा ज्योतिर्गमय
दीप अमावस्या पर प्रदीप्त ज्योतिवल्लरी में सुधाकर के स्निग्ध शीतलता से प्रभाकर के प्रकृष्ट पौरुषता का ऐक्य है।
आलोक के महासङ्गम में जीवात्मानुसंधानरत प्रकाशपुञ्ज समृद्ध हो।
रश्मिरञ्जित कामनाएँ
-----✍️परंतप मिश्र

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10 OCT 2024 AT 13:23


महामानवीय कर्म, ॠषि स्वरुप जीवन, दैवीय गुणों युक्त भारत के नव्य-नवल अलभ्य-रतन, नवरात्र की कालरात्रि की कृपा प्राप्त कर उत्तम लोक को आरोहण कर गए।

देश-काल-शब्दों से परे उनके चरित्र को नमन व सभाव सादर श्रद्धासुमन समर्पण💐🙏🏻
-----✍️परंतप मिश्र

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