समय-समय की बात है-
पहले लोग मज़ाक उड़ाकर कहते थे-
एकदम कार्टून लग रहे हो!!!
अब लोग खुशी- खुशी बन रहे हैं l😊-
औरत केवल औरत बनकर औरत के साथ खड़ी हो जाए,
कितना अच्छा हो कि औरत ही औरत की दुविधा हर जाए।-
सबके हिस्से का जहर खुद ही पीना पड़ता है,
संसार चलता रहे, इसलिए !!!!!!!!!!
कई बार शिव तो कई बार सती होना पड़ता है।-
जिस कल की चिन्ता में कल को गुजार दिया,
आज वही कल है । जिसे तुम !
कल की चिन्ता में गुजार रहे हो !!!!-
एक समय के बाद ईश्वर के सामने,
सर तो झुकता है पर प्रार्थना नहीं होती,
श्रद्धा तो होती है पर याचना नहीं होती!!
क्या हुआ, क्यों हुआ! यह धारणा नहीं होती।-
कई बार हमारा सब्र ही हमारा दुश्मन होता है,
जिसे एक हद के बाद खत्म हो जाना चाहिए।-
समस्याएँ बरसात की तरह होती हैं। जिनके होने पर ही पता चलता है, कि तुम टिकोगे या ढह जाओगे।
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जिन्दगी के रास्ते पर हमें खुद अकेले चलना पड़ता है,
लोग हमारे साथ चल सकते हैं लेकिन हमारी जगह नहीं चल सकते हैं।-
हर बार चुनाव अच्छे और बुरे के बीच नहीं होता,
कई बार चुनाव बुरों में सबसे अच्छा चुनना होता है।
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बड़ी शिकायत थी दिसम्बर से कि नहाने में ठंड बहुत लगती,
अब भुगतो जनवरी को कमबख्त मुंह भी नहीं धोने देती।-