जो कहना है साफ़ कहो, दिल में अपने न कोई बात रखो।
इश्क़ एक दरिया है इश्क़ का, जब चाहे तुम इसमें बहो।
वो जो तुम्हारी बात को समझ नहीं सकता है आसानी से।
सोचो एक बार कि उसके साथ मेरे यार फिर तुम कैसे रहो।
प्रेम संबंध में हमें सारी बातें एक दूसरे से बाँट लेनी चाहिए।
अपने जीवनसाथी के साथ हरेक विषय वस्तु पर बात करो।
अपने साथी से कुछ भी कहने से पहले अगर सोचना पड़े।
सुनो! तुम एक काम करें इस संबंध को तुम प्रेम मत कहो।
जब एक साथ रहने से हर बार हर बात पर वाद विवाद हो।
लाख कोशिश करने पर थक जाने पर फिर तुम अलग रहो।
ग़लत करना बहुत ग़लत है पर सहना उससे भी ज़्यादा ग़लत।
सुनो! तुम सब कुछ करो पर कभी भी ग़लती को मत सहो।
जो गर तुम्हें जीना है तो तुम खुलकर और ख़ुशी-ख़ुशी जिओ।
जो अच्छा लगा जैसे अच्छा लगे जिओ, तन्हा तो तन्हा ही रहो।
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