Night was my theatre,
Moon was my spotlight,
Residents of the tree were my audience,
Field was my platform
& I gave the best performance of my life with mere silence.-
हर एक नए किरदार के लिए,
पुराने किरदारों को भुलने कि कोशिश होती है,
उसी में कहीं,
खुद से भी मिला करती हूँ।
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I am the theatre where people come,
be there, watch me cripple to bits,
and then leave like, the show’s over.
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My heart's a theatre
where many act
and go away
lighting up the stage.-
मैंने धैर्यपूर्वक वर्षों तक प्रतीक्षा की-
दूसरी दिशा में घूमने के लिए,
किताबें पढ़ने के लिए,
बाढ़ लगाने के लिए,
जैसे किसी संत की गंदी,
बदबूदार हड्डी रखने के लिए।
ब्रह्मांड से प्यार करने के दिखावे के लिए
झूठ बोलने के लिए
एक-दूसरे के साथ संबंध बनाने के लिए
ताकि सब कहें,
हाँ, मैं एक अच्छा व्यक्ति हूँ।.....
..-
यादों में बसे हो तुम, मैं तुम्हें कैसे भुल पाऊँगा।
जबभी याद आओगे तुम, तुम्हारी ओर आऊँगा।
तुमको भूलना मेरे बस में नहीं है ओ मेरे सनम।
मैं इस जन्म में तुमको कभी भी न भूल पाऊँगा।
जिस गली, जिस शहर, जिस ओर भी जाऊँगा।
ओ मेरे हमदम मेरे हमराही तुझको ही पाऊँगा।
सबर की दीवार जो लगा रखी है मैंने दरमियां।
दिल कहता है कि अब उसको "तोड़ आऊँगा"।
तेरे बिना "एक लम्हा" भी मुझसे गुज़रता नहीं।
सोचता हूँ ये ज़िंदगीकादरिया कैसे पी पाऊँगा।
आँखों में नमी और दिल में कई जज़्बात लिए।
आ तो गयाहूँ मैं पर तेरेबिन कैसे लौट पाऊँगा।
माना धीरे-धीरे चलती है मोहब्बत की नाव साथी।
पर वोजो हिचकोलेआएँगे उनसे कैसेपारपाऊँगा।
तेरेबिन जीताहूँ तो लगताहैं जैसे गुनाहकररहाहूँ।
जो तेरेबिन मरगया तो फिर मैं कैसे जी पाऊँगा।
सुंदर-सुंदर सपने सजाए थे मैंने साथ में तेरे जान।
अंतमें जब तोड़नेकीबारीआएगी कैसेतोड़पाऊँगा।
आहिस्ताआहिस्ता एहसासहुआ हमेंतेरीचाहतका।
दिलकहताहै तेरेसाथहीरहना है तुझेकैसेलाऊँगा।
उसकोहीनहीं पता "अभी" उससेकितनीमोहब्बतकरते हैंहम।
अबतुमहीबताओयारों, अब उसनासमझको मैं कैसेबताऊँगा।-