QUOTES ON #TERIYAAD

#teriyaad quotes

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11 MAR 2020 AT 16:05

तुम मेरी बात करो....
हम तुम्हारी बात करते हैं....
आओ न हमारी बात करते हैं....
✍️राधा_राठौर♂

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13 OCT 2019 AT 16:28

बस यही तो मैं अक्सर किया करती हूँ।
तुझको अक्सर ही मैं लिख लिया करती हूँ।
जब कलम सताती है न तेरे इंतज़ार की ...
शब्द यादों के उसको दिया करती हूँ।
✍️राधा_राठौर♂

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2 JUL 2019 AT 12:07

तेरी चूड़ी की छनक देख आया।
दूर से मैं भी फलक देख आया।
सांसे काफी नहीं जीने के लिये....
मैं तेरी एक झलक देख आया।।
✍️राधा_राठौर♂

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किसी ने सच ही कहा था,
प्यार करने के नही बल्कि
नफ़रत के काबिल हूँ मैं।
आसमां में बिखरा हुआ,
नज़रों से ओझल होता हुआ
वो टूटता तारा हूँ मैं।

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तुम्हें ना सोचूँ
तो ये दिन कैसे ढलेगा।
ये जुस्तजू और तेरी आरज़ू
अकेला अब मुझसे ना संभलेगा।

प्यार के हक़ में तेरी नाक पर वो गुस्सा,
दर्द के पल में बदली तेरी आँखों की तस्वीर,
ताबूतों में दफ़न किये काली रातें और अतीत,
मैं ना रहूंगा जब,तो कौन तुझे समझेगा।

तू तम्मना है इन हवाओं कि,
फिजाओं से जाकर ये कौन कहेगा।
बागों की रखवाली करता रह गया जो माली,
अपने आशियाँ की तलाश,अब वो दफ़न करेगा।

हाँ जानता हूँ वो घड़ी आने को है,
जब रस्म-ए मोहब्बत को दरकिनार करके,
माथे पर सुहाग और चंद रस्मों को निभाकर,
तेरा हाथ उम्रभर के लिए कोई और पकड़ेगा।

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4 JAN 2022 AT 0:22

Ek hawa ke jukhe se fir sw mulakat ho gyi
Uske bina mile hi meri dard naak maut ho gyi
Pehn kr qafan nikla tha me uske samne se
Dekha samne tuh samsaan me meri chita ki rakh ho gyi

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याद होंगे,
जज़्बात होंगे।
हँसते चेहरे और
आँखें नम होंगे।

ख़्वाब होंगे,
चाहत होगी,
तड़प होगी,और
एहसासों के समंदर होंगे।

खुशी के पल होंगे,
जो गुज़रे कल होंगे।
अधूरे ख्वाइशों में जन्मे
शिद्दत और मोहब्बत होगी।

ये सब होंगे,
लेकिन हम न होंगे।
कानों में गूँजते
हमारे अल्फ़ाज़ होंगे।

एक तलाश होगी,
और दिल बेकरार होगा।
कदर कर लो अब तो मेरी,
क्योंकि पूरी ज़िन्दगी तेरे साथ
हम ना होंगे।हम ना होंगे,हम ना होंगे।

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28 SEP 2020 AT 11:44

तेरा साथ होता तो
बात ही कुछ और होती।।

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24 APR 2020 AT 20:25

ऐसा क्या जादू किया है तूने मुझ पर
कुछ नहीं दिखता एक तेरे सिवा इस जहां में
जहा देखू तू है सिर्फ़ तू है क्या धरती क्या आसमान

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17 MAY 2020 AT 19:12

बह चली थी ठंडी पुरवाई कि दिन अब ढल चुका था,
सूरज कँही दुबक गया शायद जल-जल कर पूरा जल चुका था,
मैं भी गिरते-पड़ते शाम का हाँथ पकड़ अब संभल चुका था,
तुझे देखने के इंतज़ार में अब मैं खुद तेरी शक्ल में ढल चुका था!

लेकिन जब तू आई तो वो ठंडी हवाओँ का बहना कुछ तेज सा हुआ था,
वो सच में हवा थी या सिर्फ मुझे लगा था ऐसा जब तूने अपने हाथों से मुझे छुआ था,
वो तू थी या सिर्फ़ तेरी यादें थी, वो तेरा हवा में लहराता दुपट्टा था या सिर्फ धुआँ था!

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