दिल का कोई कोना छोड़ आए हो
या किसी पे किया हुआ बेशुमार भरोसा तोड़ आए हो......-
आज की सुबह...
कितनी सुहानी होती...
अगर मैं तेरा बाजीराव...
तू मेरी मस्तानी होती...-
आओ सुनाऊँ तीन लोगों की एक कहानी,
एक है श्रृजल एक है लक्ष्मी और एक सुहानी....
कभी कहते ये नागिन मुझको, कभी कहते हैं चुड़ैल..
इन तीनों से मिलकर मिट गये मन के सारे मैल...
ग्रुप की डॉन है श्रृजल,नाक पे गुस्सा आँख में पानी..
लक्ष्मी भी गुस्सैल है, पर सीधी,सच्ची और सयानी..
सबसे सुलझी, सबसे सुंदर क्यूट सी है सुहानी ,
इतनी भी भोली नहीं है वो,उसके रग-रग में है शैतानी...
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डिअर सुहानी,
वो थी सुहानी राते, वो थी सुहानी बाते
सुहाने थे तुम, सुहानी थी वारदात
सुहाने ख्वाब थे, सुहाना नशा
सुहाने थे दिन, सुहानी थी याद
आज भी सुहाना बन जाता है,
ज़ब सुहानी याद तेरी आती है-
मिलने की ख्वाहिश थी उनसे,
एक सुहानी- सी शाम में।
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दरवाजे पर दस्तक लगी तो देखा,
दिन पहले ही निकल आया था।।-
ज़िद्दी है ,मासूम भी , प्यारा सा इक चेहरा है,
उसकी छोटी आँखों पर पलको का पहरा है...
लड़ाई-झगडे तो होते रहेंगे पर उससे,
विश्वास न टूटे हमारी दोस्ती इतना गहरा है....
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Ye baarish ki boonde lagti h kitni pyaari..!
Jaise ho inki hamse koi gahri waali yaari..!
In boondo se v pyari inki brsaat h...!
Jin me bhigne mja hi kuch khaas h...!
Agr is Baarish me chay ka cup aap k pass h...!
To mje ki ek alag hi baat h..!
Is se v pyari ye mausam ki raat h...!
Jisme kbhi v ho jata h din me raat h...!
Kisi k liye suhani to kisi k liye tkleef h...!.
Ye aaj ki nhi ye baat h bahut puraani.!
Kyoki sabki alag alag h kahaani..!
Sabki alag alag h Zindagani..!-
ग़र तुमसे प्यार न करते तो यूँ अल्फ़ाज़ न भीगते,
हम नासमझ ही रहते यूँ दुनियादारी की बात न सीखते...-
ना भागने का शौक है
ना दुनियां को पीछे भगाने का शौक है
हमे तो ख़ामोशी से
बेवज़ह लिखने का शौक है।-