मेरी प्यारी दादी मां..
है सौभाग्य ये मेरा,जो मुझे आप जैसी दादी मिली
खुद में शांत,छोटी सी,प्यारी मासूम आंखों वाली, छबीली दादी
एक कप प्याले की चाय में,न जाने कितनों को संतुष्ट करा देती थी दादी
तिजोरी की निकलती थी मिठाई जब,कितने कम दिन बता,खिला देती थी दादी
नए पकवान खाने की खुशी में,बना घेरे,ना जाने कितना आपको सताते थे दादी
बाएं हाथ की वो मजबूत पकड़ छड़ी,फिर कभी-कभी दादाजी का इंतजार,नहीं भूलेगा वह पल दादी
रानी रही महल की,लेकिन कितना संतोष,सुकून, बेफिक्र थी दादी
कितना भी गंभीर मनोवृति में रही हों,फिर भी मुस्कान लिए,खुद को खुश दिखाती थी दादी
आपके साथ लेटना, निरंतर वो बातें सुनना,वह पल कितना याद आता है दादी
आप नहीं है,फिर भी हर पल आप,दादा जी में जिंदा रहती हैं दादी
उनका हृदय,मन,चेतन,खुशी सब आपके साथ जुड़ी थी दादी
आपके जाने के बाद उस बुझे चेहरे में,कभी खुलकर हंसी नहीं देखी मैंने दादी
आपके ना होने का एहसास कितना मन हिलोर जाता है अब
आप हमेशा, हमारे यादों ,ख्यालों में हैं और यूं ही हमेशा रहेंगी मेरी प्यारी दादी...
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