Sadhana kaithal  
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Jnv fatehpur
Joined 14 August 2023


Jnv fatehpur
Joined 14 August 2023
26 APR AT 10:36

मेरी प्यारी दादी मां..
है सौभाग्य ये मेरा,जो मुझे आप जैसी दादी मिली
खुद में शांत,छोटी सी,प्यारी मासूम आंखों वाली, छबीली दादी
एक कप प्याले की चाय में,न जाने कितनों को संतुष्ट करा देती थी दादी
तिजोरी की निकलती थी मिठाई जब,कितने कम दिन बता,खिला देती थी दादी
नए पकवान खाने की खुशी में,बना घेरे,ना जाने कितना आपको सताते थे दादी
बाएं हाथ की वो मजबूत पकड़ छड़ी,फिर कभी-कभी दादाजी का इंतजार,नहीं भूलेगा वह पल दादी
रानी रही महल की,लेकिन कितना संतोष,सुकून, बेफिक्र थी दादी
कितना भी गंभीर मनोवृति में रही हों,फिर भी मुस्कान लिए,खुद को खुश दिखाती थी दादी
आपके साथ लेटना, निरंतर वो बातें सुनना,वह पल कितना याद आता है दादी
आप नहीं है,फिर भी हर पल आप,दादा जी में जिंदा रहती हैं दादी
उनका हृदय,मन,चेतन,खुशी सब आपके साथ जुड़ी थी दादी
आपके जाने के बाद उस बुझे चेहरे में,कभी खुलकर हंसी नहीं देखी मैंने दादी
आपके ना होने का एहसास कितना मन हिलोर जाता है अब
आप हमेशा, हमारे यादों ,ख्यालों में हैं और यूं ही हमेशा रहेंगी मेरी प्यारी दादी...

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4 APR AT 17:00

एक शुभ सुबह,एक सांझ सांवरी
बरखी बिहुआ,होगी कब छांवणी सी
अटक चटक, उठक-पटक,निःसंदेह राहीं
जीत तरंगणी,सब गुणगौर,भवर भांवरी सी
मृगतृष्ण,सफ़र बेल लिपट घनी घौर
कंकणी बन कटुक,कठोरता छाए क्यों लावणी सी
किंद कंद ओरे मांडवी गरख बरखी,
जिथे भी चल,क्यों उपटे करुण विभोर सी
आहिस्ता मधुरमिता,कटक मृणालिनी
जिथे जावे उथे पण पावे, क्यों कुसुम कुषाण सी
पथ पथिक भटत मिलत ,बन चली ये कैसी मधुमेह माया अब, मोह सी..
#साधनाकैथल #

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14 MAR AT 15:16

ऐ सफर,तू क्यों इतनी ख़ूबसूरत है
क्यों तुझमें जीने की,हो गई इतनी हसरत है

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19 SEP 2023 AT 22:28

#चन्द्रमा #
किरण प्रमुखित, तरण तनुजा सी..
बिखेरती चलती,नीलकमल सी चांदनी..
सौंदर्य समेट स्पंदना से चलती जब, छलकता है सब.. फिर लाजवंती सी बनती फिरती,ऐसी है कौमुदिनी ..

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17 SEP 2023 AT 6:46

शायर ऐ गुस्तहया की,शायरी हमारी होगी
होंगे फिर रंगमंच,पर कहानी हमारी होगी
इठलाती, झलकती,वो मधु मुस्कान आखें
पर ऐसी दीवानगी भी,हमें सिर्फ हमारी ही होगी

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10 SEP 2023 AT 21:50

सुना पढ़ा जो,अब्र है सीखा
मतलब के हैं दोस्त,जमाना तीखा
कैसी दुनिया,लोग,बसे मुसाफिर
बिना समझे,समझाते,ऐसा रक्स कहां अनूठा

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17 AUG 2023 AT 9:13

निश्चल,खामोशी में शांत रख के खुद को
अल्फाजों के मोतीचूर्ण को,संग्रह करना सीख लिया है
उलझता,मचलता,अदम्य,दृढ़प्रतिज्ञ मनमस्तिष्क को
मनोहारित कर,सत्यनिष्ठा,समर्पण के पथ पर छोड़ दिया है
क्या विचरण,क्या भ्रमण जीगीषा,संपादित करें
कुछ ना रहा वाचाल,आकस्मित अब,भावों से मिल ऐसा रुख मोड़ लिया है
करता शोर,अवर्णनीय दहकता मन,हठ में निशा मिटाने को
किंतु न जाने कैसे बन बैठा,निष्ठुर,कटुक,कठोर
जो शांत खड़ा अब खामोश,उदास,नमी से परंतु तटस्थ..

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14 AUG 2023 AT 21:02

कर्ण
सत्य,मिथ्या वर के संसय में,
धरा में आया, एक सुत महान है
ऐसा ओज सूर्यपुत्र के,अंश में विद्यमान है...
लोकनिंदा भय से कुंती ने, निर्वाह किया गंगा में
बना अधिरथ, राधेय, शुद्रपुत्र
जहां से आरंभ हुआ फिर,कर्ण का संग्राम है...
कठोर हृदय,विराग भीष्म से,मान दिया निशस्त्र वचन का
आरंभ हुआ उन्हीं से फिर,नित्यभोर,दानवीर का दान है...
इनकार द्रोणाचार्य, बने परशुराम शिष्य
स्वीकार चुनौती, बने सहचर दुर्योधन के
जो मित्रता का बना, एक दृष्टांत प्रमाण है...
बने अंगराज ,प्रकट वैशाली प्रेम का,किंतु
बंध गए गठबंधन में, सुप्रिया प्रिय महान है...
मानभंग किया द्रौपदी ने,स्वयंवर में
अपशब्द मुखरित हो गए,जिससे चीर निवासन में
जिसका अंतःकरण,क्षण क्षण रहा,संताप भयःवान है...
मिले ना भावना,पुत्र वृषसेन से,लेकिन
जब युद्ध आरंभ हुआ,शंखनाद से
सहचर बन,रण में चले फिर,एक पक्ष समान है...
स्वर्ण कुंडल दान दिया,इंद्रजीत को
संयम रख, जान यथार्थ,कुन्ती जननी का
पांच पुत्र जीवंत का,दे दिया फिर एक दान है...
ऐसे कर्ण,अतुलनीयवान है...
किया गया अंतिम रणभूमि,प्रांगण में छल
इसके भगवान ,स्वयं प्रमाण है...
आज भी उस,कुरुक्षेत्र की लहू भूमि में
कर्ण का नाम,विराजमान है
ऐसे दानवीर कर्ण महान हैं...

- साधना कैथल


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14 AUG 2023 AT 17:53

संवर ऐ जिंदगी, भंवर न जिंदगी
खुद को समेट,खुद में उतर ऐ जिंदगी
मुश्किल, निस्पंद, निःस्वार्थ,चली हैं जो राहें
न अपेक्षा, शिकायत बचे,ऐसे क्षण में चल ऐ जिंदगी
मीठा रसना रासिक है सबको, लेकिन
खुद को समेट, कड़वाहट में रख ऐ जिंदगी
भंवर न ऐ जिंदगी...

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