👇शिक्षक👇
हां.. हूं शिक्षक,
वैसे तो पद सम्मानीय है,
पर केवल नाम का...
बंदीशो में कटती हैं
दिनचर्या रोज हमारी,
घण्टे-मिनट में सिमटी है
जिंदगी की हमारी पटरी...
आप एक बच्चे से
रहते हो बहुत परेशान...
हमें सैकड़ों बच्चों का,
रखना पड़ता है प्यार से ध्यान...
उसमें भी गर खेलते हुए
लग जाए किसी बच्चे को खरोच,
दौड़े आओगे आप विद्यालय
और बेहद कटु वचनों से
हम शिक्षकों को पहुंचाओगे चोट...
आप बच्चे को मारकर
भले अधमरा कर दो गुस्से में,
हम जो आँख उठा कर देखें,
तो जी शायद पहुँच जाओगे कोर्ट...
मस्ती करते दिख गये कभी,
तो मैडम-सर रसिक बन जाते हैं...
जो कभी गलती हुई कुछ तो,
शिक्षक होकर ज्ञान नहीं का
ताना भी तो बेहयायी से सुन लेते हैं...-
मैंने बात की रोटी, गरीबी, मंहगाई,
बेरोजगारी की...वो पूछ बैठे
धर्म क्या है तुम्हारा!-
युवा देश का पूछ रहा है सत्ता से सरकारों से।
क्यों ज़िंदगी छीन रहे हो देश के बेरोजगारों से।
तुम्हें दर्द क्या उन लड़कों का जिनका जीवन अटका है।
कहीं रिजल्ट तो कहीं कोर्ट कहीं राजनीति में लटका है।
पूछो उस बाप से जाकर जिसने बेटी पढ़ाई है।
इस जीवन को युद्ध बनाकर सालों लड़ी लड़ाई है।
पूरी रचना कैप्शन में पढ़े...-
पढ़ लिया लिख लिया और एक अच्छा नागरिक बन गया।
मैट्रिक किया इंटर किया और ग्रेजुएशन भी मैंने कर लिया।
और अब जब बात आई है नौकरी पे,
तो पता चला सरकार तो फ़क़ीर है,झोला उठा कर चल दिया।
घर का बोझ, बहन की शादी, माँ की सेहत ये सब करने है मुझे,
कर सकूं मैं अपने सारे किये वादे पूरे, इसीलिए नौकरी करने है मुझे,
खैर तुम तो निकल गए 2 करोड़ नौकरियों के हवाला देकर,
पर अब अपने ही घरवालों जे नज़र मिलाने में शर्म आती है मुझे।
अब क्या कहूँ उन्हें की वो पढ़ा नही पाए, या मैं पढ़ नही पाया,
या जैसी पूरी सत्ता भरष्टाचारी है मैं वैसा बन नही पाया।
घरवाले पूछते रहे मुझसे मैं ख़ामोश रहा,
नौकरी क्यों नही मिली अभी तक इन बातों से परेशान रहा।
और बताता भी क्या, की इस देश के मुखिया को भी,
नही है पता कि यहाँ कैसे जी रहे लोग हैं,
मर रहे हैं घुट घुट कर फिर भी जहर पी रहे उनके अपने ही लोग है।-
#ssccglresult2018
#speakupforsscrailwaystudent
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अपने लिए ना सही देश के लिए ,देश के युवाओं के लिए को दिन रात एक कर संघर्ष करते है,उनके लिए,आने वाली पीढ़ी के लिए कृपया साथ दे।🙏
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