मुफलिसी¹ देख के सोचता हूं,
कि मैं लिबास होता, तो अच्छा होता।
जमीं पर परिंदे, यकीनन खुश नहीं रहते,
कि मैं आकाश होता, तो अच्छा होता।।
अंधेरी सड़कों पे देखो, वो कितना डर रही है,
कि मैं प्रकाश होता, तो अच्छा होता।
देखा है मैंने दुनिया में, झूठ भी फरेब भी,
कि मैं विश्वास होता तो अच्छा होता।।
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