[Chapter - 1] -
[Chapter - 1]
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[Chapter -0] -
[Chapter -0]
ये ज़िन्दगी किसी शाम की तरह ढल रही हैबेचैनी ही बेचैनी अब ज़हन से निकल रही हैप्यास कम नहीं हो रही अब हमारे दरमियांतेरे सुर्ख़ होठों से जैसे शबनम पिघल रही हैआज भी तेरी मौजूदगी मेरे दिल में है कहींऔर तू रेत सी इन मुट्ठियों से फिसल रही हैकहीं अंधेरा छा रहा है रोशन से दिलों मेंकहीं बेजान दिलों में नूर सी निकल रही है -
ये ज़िन्दगी किसी शाम की तरह ढल रही हैबेचैनी ही बेचैनी अब ज़हन से निकल रही हैप्यास कम नहीं हो रही अब हमारे दरमियांतेरे सुर्ख़ होठों से जैसे शबनम पिघल रही हैआज भी तेरी मौजूदगी मेरे दिल में है कहींऔर तू रेत सी इन मुट्ठियों से फिसल रही हैकहीं अंधेरा छा रहा है रोशन से दिलों मेंकहीं बेजान दिलों में नूर सी निकल रही है
वो नहीं मिली थी तो मैं खुश थाउससे मिलकर भी तो मैं खुश थावह मेरे ख्वाबों को तोड़ने में लगी थीमैं उसके ख्वाब पूरे करने में खुश थाकिसी को मंजिल मिली आसानी सेकोई था जो सफर पर ही खुश थाअश्कों से सींचा था मैंने जिसको उस दरख़्त की सलामती से खुश था -
वो नहीं मिली थी तो मैं खुश थाउससे मिलकर भी तो मैं खुश थावह मेरे ख्वाबों को तोड़ने में लगी थीमैं उसके ख्वाब पूरे करने में खुश थाकिसी को मंजिल मिली आसानी सेकोई था जो सफर पर ही खुश थाअश्कों से सींचा था मैंने जिसको उस दरख़्त की सलामती से खुश था
उसे लगता है कि उससे बिछड़कर मुझको कुछ नही हुआये भी सच है कि उसके पीछे मेरे साथ क्या कुछ नहीं हुआवो गांव, वो गली, वो चौखट,वो घर सब तो छोड़ दिया मैनेऔर वो कहते हैं कि जो भी हुआ वो तो कुछ नहीं हुआ -
उसे लगता है कि उससे बिछड़कर मुझको कुछ नही हुआये भी सच है कि उसके पीछे मेरे साथ क्या कुछ नहीं हुआवो गांव, वो गली, वो चौखट,वो घर सब तो छोड़ दिया मैनेऔर वो कहते हैं कि जो भी हुआ वो तो कुछ नहीं हुआ
भरी दुनिया में किसी को अपना नही समझते होयकीनन तुम किसी को भी कुछ नही समझते होखामोशी की जुबान तो दूर की बात है अनुरागतुम तो आखों की भी जुबान नहीं समझते हो -
भरी दुनिया में किसी को अपना नही समझते होयकीनन तुम किसी को भी कुछ नही समझते होखामोशी की जुबान तो दूर की बात है अनुरागतुम तो आखों की भी जुबान नहीं समझते हो
अश्क अब खामोश हैं आवाज तू मुझको लगा देरो रहा है दिल तेरी खातिर गले मुझको लगा ले -
अश्क अब खामोश हैं आवाज तू मुझको लगा देरो रहा है दिल तेरी खातिर गले मुझको लगा ले
एहसास लिखे हैं पढ़ लेनाकुछ बात छुपी है दिल मेंये हर्फ मिलाकर पढ़ लेनाकोई खास बसा है मन मेंदिल से लगाकर पढ़ लेनादिल की बात है दिल मेंजज़्बात ये मेरे पढ़ लेना -
एहसास लिखे हैं पढ़ लेनाकुछ बात छुपी है दिल मेंये हर्फ मिलाकर पढ़ लेनाकोई खास बसा है मन मेंदिल से लगाकर पढ़ लेनादिल की बात है दिल मेंजज़्बात ये मेरे पढ़ लेना
आंखों में ख्वाबों के हैरत सजाए कहां जा रहे हैंये परिंदे दरख़्तों से उड़कर कहां जा रहे हैंवो सहरा अभी तो होगा बेशक ही हरा भरावहां भी तो आएगी कभी खिजां जहां जा रहे हैंउसी गुलाब के कांटो ने जख्मी किया मुझेजिसे प्यार से हम अपने घर में लगा रहे हैंतेरे खंजर के दिए जख्म तो भर चुके हैंतेरे होठों के लिए जख्म अब तक भी हरे हैंयह कौन तेरी बाहों के आगोश में आ रहा हैये किसे अपनी जिंदगी से मस‘अले हो रहे हैंहम तेरे साथ भी खुश थे तेरे बगैर भी खुश हैंपांव के ठोकरों को गले लगा बढ़ते जा रहे हैं -
आंखों में ख्वाबों के हैरत सजाए कहां जा रहे हैंये परिंदे दरख़्तों से उड़कर कहां जा रहे हैंवो सहरा अभी तो होगा बेशक ही हरा भरावहां भी तो आएगी कभी खिजां जहां जा रहे हैंउसी गुलाब के कांटो ने जख्मी किया मुझेजिसे प्यार से हम अपने घर में लगा रहे हैंतेरे खंजर के दिए जख्म तो भर चुके हैंतेरे होठों के लिए जख्म अब तक भी हरे हैंयह कौन तेरी बाहों के आगोश में आ रहा हैये किसे अपनी जिंदगी से मस‘अले हो रहे हैंहम तेरे साथ भी खुश थे तेरे बगैर भी खुश हैंपांव के ठोकरों को गले लगा बढ़ते जा रहे हैं
--------------------------------------------अब इन चरागों की लौ आखों में चुभती हैअजब ईजा में अब हम ये दिन काट रहे हैंअजीब दुख है कि गम लबालब है दिल मेंऔर गैरों में हम खैरात ए इश्क बांट रहे हैं-------------------------------------------- -
--------------------------------------------अब इन चरागों की लौ आखों में चुभती हैअजब ईजा में अब हम ये दिन काट रहे हैंअजीब दुख है कि गम लबालब है दिल मेंऔर गैरों में हम खैरात ए इश्क बांट रहे हैं--------------------------------------------