αηυяααg мιsняα   (𝑲𝒂𝒗𝒊𝒓𝒂𝒂𝒋 𝑨.𝑲..)
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Joined 7 January 2019


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Joined 7 January 2019

गुमान था उन्हें बेजान जमीन पर बैठकर
खुला आसमान देखने का
मेरी मोहब्बत को अपना बनाने के लिए
उसने मुनाज़ात शुरू कर दिए

भरम टूट गए मेरे रकीब के हमारी दरमियान
इश्क–ए–मज़ाज़ी देखकर
मोहब्बत के पाक़ीज़ा रिश्ते ने हमारे रिश्ते की
डोर मजबूत कर दिए

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महसूस होगी हमारी मोहब्बत जब हम नहीं होंगे
रंग सारे होंगे जिंदगी में तेरे मगर हम नहीं होंगे

ज़ख्म यूं तो दिल के घरौंदे में है बेपनाह मगर
तेरी वस्ल में ये अश्क कभी भी कम नहीं होंगे

काश यकीन अपनी मोहब्बत का दिला पाता मै
तुझसे बिछड़कर सिर्फ यादें होंगी हम नहीं होंगे

तुझे जिंदगी की तमाम खुशियां हासिल हों
दुआ है जिंदगी के सफर में कभी ग़म नहीं होंगे

हमसे बिछड़कर खुश तो रहेगी तू जिंदगी भर
अगर तुझसे बिछड़े तो दुनिया में हम नहीं होंगे

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ये चाहत, ये पागलपन, ये हसरत है मेरी
तू सिर्फ मोहब्बत ही नहीं जिंदगी है मेरी

तेरी बेरुखी भी खत्म कर रही है मुझको
तुझसे बिछड़ना भी जान ले लेता है मेरी

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उसे भी तो मुझसे मोहब्बत थी
मगर वो कभी जताता नहीं था

इश्क में पाबंदियां भी होती है
मगर वो कभी लगाता नहीं था

मर्जी भी तेरी ही पूरी की उसने
अपनी मर्जी वो चलाता नही था

एक दिन ये सोचोगे मेरे बारे में
दर्द में था मगर बताता नहीं था

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वीरान सी जिंदगी में मेरे खुशियों का रंग घोला
जिसके वास्ते मैने सारी दुनिया से नाता तोड़ा

मै तो वो था जो हर ग़म मुस्कुराकर सहता था
उसे मोहब्बत के सफर में भीअकेला नहीं छोड़ा

बट रही थी उसकी मोहब्बत जो मेरे हिस्से में थी
किसी और के लिए मैने उसका साथ नहीं छोड़ा

कुछ इस कदर खामोश हो गया आज वो सख्श
जिसे उसकी मोहब्बत ने कहीं का नहीं छोड़ा

यूं ही नहीं दीवाने खुदकुशी कर लेते हैं अनुराग
उनकी भी मोहब्बत ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा

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14 DEC 2024 AT 14:38

कुछ इस कदर वो मेरी जीने की हर उम्मीद को तोड़ देता है
मेरा पसंदीदा सख्श मुझको अकेला रोता हुआ छोड़ देता है

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1 DEC 2024 AT 11:16

वो सख्श अच्छा था हम ही न समझे, एक दिन मैं ऐसी जुबानी हो जाऊंगा

चला जाऊंगा मैं दुनिया से दूर इतना, कि एक दिन मैं कहानी हो जाऊंगा

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1 DEC 2024 AT 10:41

💔Caption ✍️

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15 NOV 2024 AT 20:26

अर्श में चांद सितारे भी हांथ मलते हैं
इशरत के रास्ते हम शान से चलते हैं

वो मेरी मोहब्बत है मै उसकी जिंदगी
हम खुश हैं और लोग हमसे जलते हैं

हम रेत हैं हमें समुंदरों से क्या खौफ
हर शाम यहां कई आफताब ढलते हैं

समाएं बुझा दो मेरे महबूब के आने पे
रोशन हो वो चराग़ मेरे दर पे जलते हैं

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7 NOV 2024 AT 22:40

हर रात आसान नहीं होती किसी अपने को खोकर
तुम्हारी सो कर कटती है और हमारी यूं ही रो कर

बड़ी शान से रहते हैं वो हमारी मोहब्बत की छांव में
दर किनार कर देते हैं लोग हमें जैसे पांव की ठोकर

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