Ekta sharma   (Ekta sharma)
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Joined 27 January 2019


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18 FEB 2023 AT 9:55

कैलाश पर रहने वाले
महिमा निराली
मेरे शिव को आज
विवाह की
लख लख बधाई।

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15 NOV 2022 AT 20:19

जो भी सब सामने तुम्हारे
फिर भी क्यों
गिले पुराने उकेरना
चाह रहे हो?

चाहत दिखती नही
आंखो में मेरी
क्यों सवाल
प्रेम पर उठा रहे हो?

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10 NOV 2022 AT 14:09

वक्त के आगे
लगे सब लाचार
आज जिसके लिए
तू खुश अभी
पल अगला क्या
किसी को भला कहा पता।

तू चल सीधे रास्ते
जो आगे बढ़ा तू
तो प्रयास कर
कुछ और के लिए
अभी तो बस
शुरुआत समझ
ना समझ इसे प्रगति
आगे बढ़ बस
अहंकार ना कर।

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15 MAR 2022 AT 22:08

प्रकृति आसमां से आई हो
फलक तक
वो झूमना पेड़ो का
मन मोह ही लेता है।

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23 JAN 2022 AT 16:39

तुम गुलामी नही
रास्ता स्वाभिमान का अपनाओ
देश के लिए लड़ना है
उबाल खून में जगाओ।

तुम इस मिट्टी के वारिस हो
निर्भय हो कर
संग मिल जाओ
खून पसीना एक करो
तुम आजादी लक्ष्य बनाओ।

निर्भय होकर , दृढ़ होकर
तुम सीना तान
आज़ादी की राग स्वर में गाओ
अपनी जान की बाजी पर
तुम युवा देश आजाद कराओ।
खून में उबाल तुम्हारे
तुम गुलामी नही
स्वाभिमान से सिर उठाओ।

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19 JAN 2022 AT 10:47

गिला भी क्या रखूं तुमसे
जब तुम सामने आती हो
मैं नाराज था कभी
ये भी भूल जाता हूं।

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12 JAN 2022 AT 10:39

धैर्य , साहजता सबल ,
सकारात्मक व्यवहार
से जाना जाता है,
स्वामी विवेकानंद जी का,
नरेंद्र से विवेकानंद का सफर,
युवा के लिए बड़ा प्रेरणादयक,
बन जाता है।

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12 JAN 2022 AT 10:39

धैर्य , साहजता सबल ,
सकारात्मक व्यवहार
से जाना जाता है,
स्वामी विवेकानंद जी का,
नरेंद्र से विवेकानंद का सफर,
युवा के लिए बड़ा प्रेरणादयक,
बन जाता है।

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10 JAN 2022 AT 16:36

दुनिया की भागदौड़ में
नए सलीखे सीख लिए
इंगलिश वक्ता को सभ्य जानकर
तुमने इंगलिश तौर तरीके सीख लिए
पर क्या तुमने कभी
मात्र भाषा के महत्व को
उन सभ्य लोगो को समझाया है
और क्या कभी 100 लोगो में
अपनी मातृ भाषा का मान बढ़ाया है?

तुम क्यों उस भीड़ का ,
हिस्सा बनते हो
जब दूसरी भाषा वाले ,
सभ्य लोग दिखते है
तुम खुद को कम क्यों महसूस करते हो?

ये संस्कृति तुम्हारी
तुम्हे जीवन मूल्य सिखाती है
भाव से भरपूर
ये भाषा हिंदुस्तान में जानी जाती है
मुझे पता है तुम
हिंदी भाषा बोलते हो तो
जुड़ाव भी महसूस करते हो
बस अब झिझक नही
अपनी मातृ भाषा से प्रेम करो
तुम मान बढ़ाओ मातृ भाषा का
मातृ भाषा को गर्व से कहो।

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6 JAN 2022 AT 15:36

कभी हां कभी नहीं,
कभी कल तो ,
कभी कभी परसो पर
छोड़ देते है,
कुछ ऐसे ही झूठ हम
खुद से बोल देते है।

कभी रिश्ते टूटने का डर
कभी बिखरने का दर्द
कभी बचने के लिए डांट से
कभी छुपने के लिए स्वयं आप से
भय से खुद के
खुद को फुसलाते है
दिल भी बड़ा शांत है
उसे भी झूठ का हिस्सा बना देते है।

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