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तुझ जैसा मेरे यार सितमगर नहीं देखा,
रूठा तू जो इक बार पलट कर नहीं देखा।
नाकाम मुहब्बत में हुए जैसे यहाँ हम,
हमने किसी का ऐसा मुक़द्दर नहीं देखा।
दिल तोड़ के वो चल दिया जल्दी में था शायद,
रुकता तो सही आँख भी भरकर नहीं देखा।
बेघर हुए हैं ऐसा लगा आज अचानक,
इक दिल के सिवा तेरे कोई घर नहीं देखा।
ख़ुद को ही तलाशा है हमेशा तेरे अंदर,
"मीना" ख़ुदा तुझ में दिखा बाहर नहीं देखा।
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