व्याकुलता की पीड़ा को
सीता से बेहतर जाने कौन
द्वंद छिड़ा है मन के भीतर
अधरों पर है धारण मौन-
कैसी बिपदा आन पड़ी है,
सीता! सीता! राम पुकारे...
(अनुशीर्षक में...)
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सीते! कब तलक राम का इंतजार करोगे।
तुम्हें ही हर पापियों को मारना होगा।।
अब तो तुम्हें ही धनुष उठाकर
उस रावण का अमृत कुंड निथारना होगा।।
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समझो न सामान्य मुझे
मैं आपका ही प्रतिरुप हूँ
अस्तित्व मेरा राम तुमसे
मैं वो दिव्य रूप हूँ
समझो न कमज़ोर मुझे
लक्ष्मी का अवतार हूँ
राम तुम हो शस्त्र तो
मैं तुम्हारी धार हूँ॥-
"मर्द" चाहता है "कृष्ण" बना रहे उम्र भर,
लेकिन "पत्नी" अपेक्षित होती है उसे "सीता" जैसी...
औऱ भूल जाता है कि दोनों चरित्रों के बीच में एक पूरे "युग" का अंतर है !-
Sita,
I remember reading about your archery skills, sharp mind and wit. About how you dodged a boar once in the wild to rescue Ram and the empathetic softness that you professed when you saved a little boy from the angry eyes. I read about your simplicity and sensed the devotion in your magnificence.
What I did not read enough about is how shattered you felt when your honor was questioned and your sanctity marred. I did not read enough about the ordeal of the Queen of the Kingdom when the revered King of the Kingdom questioned her piety.
Perhaps, they expect you to accept it. Maybe that is why you went back to the womb of Mother Earth.
A million years later, earthlings still shudder from the shiver of an earthquake.
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*मुसीबत में कोई नहीं*
सीता के रखवाले राम थे
जब हरण हुआ तब कोई नहीं
द्रौपदी के पांच पांडव थे
जब चिर हरण हुआ तब कोई नहीं
दशरथ के चार दुलारे थे
जब प्राण तजे तब कोई नहीं
रावण भी शक्तिशाली थे
जब लंका जली तब कोई नहीं
श्री कृष्ण सुदर्शनधारी थे
जब तीर लगा तब कोई नहीं
लक्ष्मण भी वीर योद्धा थे
जब शक्ति लगी तब कोई नहीं
शरशैय्या पर पड़े पितामह थे,
पीड़ा का सांझी कोई नहीं
अभिमन्यु राजदुलारे थे
पर जब चक्रव्यूह में फंसे तब साथ देने वाला कोई नहीं
सच यही है दुनिया वालों संसार में अपना कोई नहीं,
जो लेख लिखे हमारे कर्मों ने
उस लेख के आगे कोई नहीं....!!
🌸🙏केवल कर्म ही है अपना, उसके आगे कोई नहीं 🙏🌸
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खुशहाल जीवन के माईने समझने के लिए . .
मुझे ज़रूरत नहीं किसी एक पगले हमसफ़र की।
जो नारी को तुलसी की सीता न समझता हो . .
मुझे ज़रूरत नहीं ऐसे किसी कबीरे की।।-