मुझे मेरे एब न गिनवाओ में वाकिफ़ हु अपने हुनर से,
उसका सज़दा नही करता दोबारा जो गिर गया नज़र से,
और यह जो तुम तिलमिलाते हो देखकर रोशन घर मेरा
बस ईसी सुकूँ की ख़ातिर ही में दूर जाता नही शहर से,
ईबादत, वक़ालत और इंतजार सब कुछ किया हमने,
नाराजगी, बेवफाई और जिल्लत ही मिली बस तुम से,
मेरे रूबरू होने का अब ख्वाब भी न देखना तुम कभी,
बड़ी मुश्किल से बहोत दूर आ चुंका वो तबाह चमन से,
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यह जो मख़्मली सी तिरी पैशानी है
उसपे छलक रही कोई परिशानी है
हो गर कोई बात आके मिलो मुझसे
दुनियां का छोड़ो दुनियां तो फानी है
बेफ़िक्र औ बेख़ौफ़ जिया करो जानी
ज़िंदगी मिली है ज़िन्दगी तो जानी है
एक बात है कहनी बिना फ़ख़्र के तुम्हे
तिरी ही नही दुनियां मिरी भी दिवानी है
लौट आओ तो वस्ल-ए-यार मयस्सर हो
वरना तो यह ज़ीस्त हिज्र में ही बितानी है
है बहोत किमती तोहफ़ा तुम्हारे लिए सुनो
मेरे नए इश्क़ की तुम्हे कहानी सुनानी है
'नीर' मै चाह कर भी बदल न सका मोहब्बत
मैंने झुठ कहा की उसे कोई कहानी सुनानी है-
आंँख का अंधा नाम नेयनसुख
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आगे नाथ न पीछे पगहा
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तुझसे प्यार बहुत कर चुका हूँ मैं ,
शायद इसलिए बुरा बन चुका हूँ मैं ।-
बेपनाह मोहब्बत है तभी तो इज़हार-ए-इश्क़ नही जताते है,
साँसों के कण-कण मे बसे है,तन्हाई से अब नही घबराते है..!-
खफ़ा सी हैं मेरी कलम आज कल मुझे से,
मुझे से मेरी कहानी माँगती हैं..!!
जो छिपी हैं मेरे जज्बात में कहीं,
वो मेरी रूहानी मोहब्बत की इबारत को दिल के कागज़ पे उतर जाने की मुझ से नियाज़ चाहतीं हैं...!!-
"शायरी", दर्द में मेरी
कलम बन जाती हैं....
तन्हाईयों में लफ्ज़ों से
खेलना सिखाती हैं....-