सुपुर्द ए ख़ाक हो चुकी थी सारी उम्मीदें मिरी ’नीर’,
तिलिस्म-ए-इश्क़ ने तेरे फिर से इन्हें जिंदा किया..
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Beliver of karma,
🎂16th january,
☺ Smile and let others smile too
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लड़ते भी है जगड़ते भी है दिलों जां से इनपर मरते भी है
जिन्हें पाने में लग गई उम्र सारी उन्हें खोने से डरते भी है
❤️ मित्रता दिवस की शुभकामनाएं ❤️-
है बहोत दर्द भरी दास्तां हमारी मोहब्बत की,
खैर छोड़ो तुम बताओ कैसे आना हुआ "नीर"..!!-
ले कर आए नई खुशियां नई उमंगे और नए तराने
मुबारक हो दिन जन्मदिन का ओ मेरे यार पुराने
ना मांगी दुआ कभी न कभी कोई और ख्वाहिश की
तुजसे शुरू की कहानी अपनी तुजी पे ही खत्म की
चले आना तुम मिलने लगा कर गुल गुलाब का
संग मिलकर हम दोनो फिर देखेंगे सुनहरे जमाने-
ना इत्र गुलों सी फिर भी महक रहा गुलाबों सा
नीर यह वो गुलाब है जो बागों में मिला नहीं करते-
Muskilo se tu gujra to bahot he , yeh tera haal bayan kar raha he,
Wo saksh kya tuje bhi yaad krta he, jisse tu beintehaa pyar kar raha he-
Muddato baad ek Nazar se mili thi nazar,
Un surmayi nazaro ke bad hua bekhabar..!-