जिसकी मखमली
आवाज़ सुनकर
ग़ज़ल नज़्में शेर शायरी
का ये शौक जागा था।
आज के दिन ही वो
इस दहर में आया था।
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Naya naya shauq unhe ruthne ka laga hai......
Khud he bhul jati hai ki....ruthi thi kis bat pe.....-
यूँ तो शौक़ कई थे मेरे भी ज़माने में, हुआ फिर यूँ,
कि शौक़-दर-शौक़, मैं खुद को मारता चला गया।
یوں تو شوق کئ تھے میرے بھی زمانے میں، ہوا پھر یوں
کی شوق در شوق میں خود کو مارتا چلا گیا-
Shauq Bewajha Ke Nahi Hote Jo Paal Le Agar
Shauq Unke Liye Sirf Wohi Ek Wajha Ban Jati Hai-
शौक़ नहीं हमारा इन सांसों की मजबूरी है वो
थम जाती हैं अक्सर उनकी बेपरवाहियों से
23/3/19-
Shayari shauq hai mera adath nahi..
Shauq Badal jate hai adath nahi ..-
अब कहां दिखते हैं वो चेहरे किताबी यारों
ना ही दीदार के वो शौक़ नवाबी यारों-
मेरे शौक से मुख्तलिफ़ है पसन्द मेरी।
कि परिंदों का शौक तो है मगर पिंजरे में पंसद नहीं।।
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यूँ तो शौक़ कई थे मेरे भी ज़माने में, फिर हुआ यूँ
कि ज़िम्मेदारियों ने ऐसा घेर लिए,
मैंने अपने हर शौक़ से ख़ुद ही मुँह फेर लिया।-