शमा - परवाना
(Read in caption)-
न पता घर का है न रास्ते का
घर तब जा सकूंगा जब पता रास्ते का हो।
न कोई मंजिल पास नजर आ रही
न कोई आशियाना मिल रहा।
दूर तक देखु सामने तो कोई
मकान भी नजर नहीं आ रहा।
हल्की-हल्की बारिश की बूंदे भी
जमी पर लगी थी गिरने
ठंडी हवाओं से शरीर लगा था जलने....
जली हुई आग बुझ गई थी इन हवाओं से
अंधेरा ही अंधेरा छा गया था इन आंखों पे।
वह मंजर काफी भयानक था उस रात का
वह मंजर काफी भयानक था उस रात का
जो मेरी शायरी की किताब जल गई थी
उस बारिश में.....
✍️:- हेमंत राजाराम सूर्यवंशी-
लाखों परवाने जले ये जानने के लिए,,
कि शमा जलने के लिए है, या जलाने के लिए ।।
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तू क्यों दर्द–ए–दिल जगा रहा है..??
परवाने के आगे शमा जला रहा है...
नहीं समझ सकेगा वो तेरे जज़्बात,
तू खामखां ही अपना हाल–ए–दिल...
उस पत्थर को बता रहा है....!!-
चाह कर भी शमा कभी रोक नहीं सकती, जलने से परवाने को....
जहाँ में रस्म ही कुछ ऐसी है कि, मंजिल कभी मिलती नहीं सच्चे दीवाने को....
🙏🏻😊🙏🏻-
Husn ki shama par jalne wale parwane to bahut dekhe...
Kashana e aam me roshni karde wo jugnoo ki talash hai...-
Har parwana to bas jalna Chahta hai
Bas use jalane wali Sahi Shama ki talas Hoti hai🔥🏃-
शाम के ढलते ही...
शमा को जलाता हू मैं...
अँधेरा होते ही...
ख़ुद से मिल जाता हूं मैं...
~तरुण-
Usey Andhero'n me
Milta hai ab Sukoo'n
Aur Shama hai ke Uske
Intezaar me Jalti hai-
अक्सर उस चिराग़ पर भौरें बहुत मंडराते हैं, जिस की लौ ज्यादा होती है..
तो फिर लोग उन भौंरों को शमा-परवाना क्यूँ समझ बैठते हैं..।।
Prashant shukla-