उसका साथ होने से लेकर न होने तक का सफर तय किया है हमने, हमसे ये मत पूछो के मोहब्बत के बारे में क्या खयाल है तुम्हारा।।।
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Nashik
manto
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कुछ खयाल बन कर आये, कुछ हकीकत बनकर आये, हम तो वही रहे गए, जहाँ सब जरूरत बन कर आये ।।।
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दूरियों से नजदीकियां बढ़ने लगी है अब, दूरियों से नजदीकियां बढ़ने लगी है अब, खुद को आईने में तलाश ता हूं तो परछाई नजर आती है।
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आशिकी के चक्कर में हम वहीं के वहीं रह गए। नया घर पुराना हो गया फिर भी हम वहीं के वहीं रह गए। बदली तो बस हमारी सूरत और कुछ नहीं और न जाने उन्होंने कितने घर बदल लिए ।
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नादान है मेरी पंक्तियां खुद को समझती नहीं, नादान है मेरी पंक्तियां खुद को समझती नहीं, हर वक़्त करती है मोहब्बत-मोहब्बत मगर हकीकत को जानती नहीं, नादान है मेरी पंक्तियां खुद को समझती नहीं।
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आपको पाना मेरी मोहब्बत का पहला मकसद था।
आप मुझे चाहो ये मेरी मोहब्बत का दूसरा मकसद था।
आपकी आँखों में मेरेलिये वही मोहब्बत हो जो मेरी है वो चाहना मेरी मोहम्मद का तीसरा मकसद था।
आपको करीब लाना मोहब्बत के मेरी ये मेरा चौथा मकसद था।
आप उतनाही चाहो मुझे जितनी जरूरत हे मोहब्बत को मेरी, उस चाहत को पाना मेरे मोहब्बत का पाचवा मकसद था।
ओर हाँ, ओर हाँ ये मकसद- मकसद के चलते मेरी मोहब्बत ये भूल गई के आपको पूरी तरहसे अपना बनाना ये भी मरी मोहब्बत का आखरी मकसद था।-
हमने सब कुछ छोड़ छाड़ के उन्हें अपना घर माना और न जाने उन्होंने कितने किराएदार रख दिए.....
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