कलम आज लिख दे, तुम उनकी कहानी..
जो देश पर लूटा दिया हो, अपनी जवानी..
कलम उन बच्चों के, प़र कतर जाते हैं..
बचपन मे ही जिनके, बाप गुजर जाते हैं..
कलम उन कंधों का, दर्द कितना अलग है..
जिस कंधे ने उठाया, अपने भाई शव है..
त्योहार राखी का, अब मेरे किस काम का है..
बहन रो रही है, पकड़ के- भाई की कलाई..
कलम आज लिख दे, तुम उनकी कहानी..
जो देश पर लूटा दिया हो, अपनी जवानी..
...Sadhan Bhatt -----शेष शिर्षक में..
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