खिड़की बंद पड़ी है कब से,
तोड़ो अब दरवाजों को..
एकांत में बैठे महलों में जो,
बतला दो सरताजों को..
चीखें नहीं पहुंचती उन तक,
आने दो आवाजों को..
जाति धर्म और लिंग से,
बांट लिया बहुत समाजों को..
आओ सब मिल एक करें अब,
पूजा और नमाजों को...
©drVats-
दिल मे नफ़रत लेकर भी प्यार दिखाना होता है।
चंद वोटों के ख़ातिर मज़हबी टोपी लगाना होता है।-
He is a Muslim guy with the picture of Lord shiva as his display picture, written 'Buddha believer' on his bio posting about the life story of the Jesus Christ !!
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Mosques would be lively more than ever
In vain goes your propaganda of generating fear.
You wanted to tantalise the innocents; to rip the humanity, to tear.
But humanity never fades, keeps shining bright like a chandelier.
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ईश्वर तू मुझमें अभी जिंदा है,
तेरे होने का एहसास अभी जिंदा है।
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India is so
Secular
That we celebrate
Eid and
's birthday
Together-
हम ये नही कह रहे 'जो भी चल रहा है देश मे सही है ।
और होना चाईए ।
पर बात ये है की आज तक जो चल रहा था
वो बहुत गलत था उसको सुधारने मे वक़्त लगेगा
कुछ पराये साथ आएगे कुछ अपने खंजर मारेगे।
पर बद्लऔ आयेगा ।
और ये मत कहिये मेरा देश क्या हो गया है।
अगर इसको 700 सालो में देखो तोह उसस वक़्त के मुताबिक सही है ।
किसी को मौका ना दो उन्के बहकावे में अपको ले जाये ।
आप स्वंत्रत देश के नागरिक हो।
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कुछ वर्षों पहले साजिश रची गई थी,
जिसमें कुछ बुद्धिजीवियों द्वारा
एक शब्द का निर्माण हुआ।
जिसका नाम रखा गया "सेक्युलर "।
इसमे एक आपसी सहमति बनी कि
यदि किसी एक विशेष वर्ग द्वारा किये गए, किसी भी अनुचित कार्य को उचित
का दर्जा देने के लिए
अंतिम समय तक प्रयासरत रहेंगे।
यदि इस कार्य का अन्य वर्गों के द्वारा विरोध किया जाता है, तो उस पर यह आरोप लगाया जाएगा कि वह बहुबल है, इसलिए वह विरोध कर रहा है।
यह शब्द इन कुछ वर्षों में इतना फला फुला कि आज वह "कोरोना" को भी मात दे रहा है।
जय हिंद-
॰॥ महक का मज़हब नहीं होता ॥॰
ख़ुशबू जो निकली गाँव गाँव चली
शहर तक पहुँची, सरेआम चली
न हवाओं को वहम
न मज़हबों को ग़िला
महक लोबान की जो चली
बेख़ौफ, बेबाक...
मंदिरों में, मज़ारों में
खुलेआम चली॥
~ रोहन
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अच्छा या बुरा होता है इंसान, उसका धर्म नही
मज़हब से नहीं पड़ता फर्क, गर हो उसके कर्म सही-