अश्कों को आंखों से बहने दो
ठहरा पानी खराब हो जाता है
पानी अपना रास्ता तलाश ही लेता है
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जो बिस्तर हम खाली करेंगे
उसपर अगला तुम्हें ही लेटाया जाएगा.....
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तुम ठीक नहीं हो? क्या है तुम्हारा हाल?
बार बार पूछता है वही एक सवाल........-
मीठी सी लगती जो, चुभने लगी तुम्हें हर बात है
उजाले के अभाव में, लंबी सी लगने लगी रात है
तू ख्वाबों में, ख्यालों में अब भी है मेरे आस पास
न चाहूं करना तब भी, तुझ से ही जुड़ी हर बात है
तेरे कड़वे, कठोर बोल बह चुके हैं बनकर अश्क
मानो झड़ चुका नफरत का हर अंश हर पात है
मैं वही हूं जो कल था, जो हमारा अच्छा पल था
मगर न जाने क्यूं बदले से ये तुम्हारे जज़्बात हैं
अब भी अपना मानता है मन भूलकर सभी कुछ
फिर भी क्यूं तुम्हारे मेरे दरमियां बिगड़े हालात हैं
कभी कभी कुछ रिश्तों से दूरी ही सही समझे जेजे
जो देते रहे मन को दर्द, पीड़ा और प्यार को मात हैं-
छोड़ गए, जो कभी साथ थे
छूट गए, जो हाथों में हाथ थे
न कोई कश्ती है न कोई रास्ता
हूं नदी के उस छोर पर
वो मुड़ कर जहां से, कभी लौटे नहीं
खड़ा हूं अब भी उसी मोड़ पर-
याद आती है जब जिन्दगी हो अंधेरे में
रोशनी आते ही फिर क्यों उन्हें भूल जाते हैं
वो लोग हमारे जीवन के दीपक से
हम क्यों उनकी कदर नहीं कर पाते हैं-
कभी जिएंगे तसल्ली से, मिला वक्त जो खुद के लिए भी
अभी खुशियां हजारों अपनो की, घर लानी बाकी है-
उड़ चलें कहीं दूर इन हवाओं संग
छोड़ सफर ए जिन्दगी के रास्ते
जहां मिल सके दो पल सुकून
जिसे रहे जीवन भर तलाशते-
वक्त नहीं है, समय नहीं है
ज़रा काम निपटा कर आते हैं
आज, कल, परसों सब व्यस्त है
आओ! लम्हे चुरा कर लाते हैं-
रहा है यहां वहां टहल
मची है कुछ चहल पहल
कुछ तो प्रश्न पल रहा है
मन के भीतर
कुछ ख्याल चल रहा है
मन के भीतर
सूरज खुशी का ढल रहा है
मन के भीतर
बहुत कुछ चल रहा है
मन के भीतर-