गुरु मुरति गति चन्द्रमा,
सेवक नैन चकोर।
आठ पहर पर निखरता रहे
गुरु मूरति की ओर....-
Aye satguru kripa h apki
Jo noori mukhda dikhaya h
Is jivan ki raah par
Apna sath deke nihal banaya h
Kyu na bhag manaye hum
Apke jaisa sona satguru jo
Paya h satguru jo paya h 🙏🙏-
कभी कभी अंजान बना बैठा रहता हूँ,
गुमसुम मासूम बना बैठा रहता हूँ,
कुछ भी करने को दिल नही करता,
बेबस बेचैन सा हुए बैठा रहता हूँ,
आता है फिर सन्देशा जब मेरे सतगुरु का भागा चला जाता हूँ,
मिलकर मेरे सतगुरु से में मुस्कुराता वापिस हुआ आता हूँ,
खाली झोली ले जाता हूँ, ख़ुशियों की भरकर लाता हूँ,
मेरे सतगुरु दीनदयाल तेरे दर से कभी खाली हाथ नही जाता हूँ।।
-
हे मेरे सतगुरु जी
मैंने सोचा कि आपका इश्क दरिया है।
प्यास बुझ जायेगी।
पर ये तो समुद्र निकला
मुझे बहा ही ले गया।
आपके प्रेम की लहरों में।-
Aye mere Data sirf apka sath ho
Ek kachi si dori se bandha
Aapka hath ho
Kya mangu apse ap to jante
Sabka haal ho
Aaj apko pahli rakhi bandhe aur
Humare dil me ye vishwas ho
Ki jab bhi jag humse udas ho
Tum hamesha hamare pass ho
Happy Rakshabandhan Satguru Ji
-
ਤੈਨੂੰ ਕੁੱਝ ਦਿਨ ਯਾਦ ਨਾ ਕਰਾਂ...
ਮਨ ਤਾਂ ਸਾਜਿਸ਼ਾ ਰਚਣ ਲੱਗ ਜਾਂਦਾ ...
ਤੈਨੂੰ ਮਨੋ ਵਿਸਾਰਨ ਦੀਆਂ ....
🙏🙏🙏-
है मंजिल का पता
पर ना हमसफ़र की आरज़ू
हमें तो है 'साहिब'
बस तुम्हारे सजदे की जुस्तजू।-
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥4-7॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥4-8।।
/ captioned/
👇👇-
अवश्य ही किसी की दुआएं,
हैं मेरे जीवन में रंग लाईं।
जो मुझे 'साहिब' के सत्संग तक,
चुम्बकीय तरंग बन खींच लाईं ।।
-