दो अठन्नी से दोस्ती शुरू हुई थी हमारी। स्कूल कैंटीन में समोसे खरीद रहे थे हम दोनों। अठन्नी दो, लेकिन समोसा एक। तुमने ज़िद्द कर खुद के लिये खरीदा था। मेरा लटका मुँह देख तुमने वो समोसा तोहफे में मुझे सौंप दिया। मैंने आनाकानी की थी पर पेट में दौड़ते चूहों ने मानो भूख का एक ज़बरदस्त तूफान भेज दिया था। कुछ सोचे बगैर आधा समोसा मैं गड़प कर बैठा। तभी मैंने तुम्हारा चेहरा देखा। मायूस सा। फिर क्या था, तुम्हारा समोसा वापस। आधा अधूरा। हमारी दोस्ती जैसा।
अगले दिन फिर वही कैंटीन, फिर वही दो अठन्नीयां। लेकिन समोसे अनगिनत। आज कोई लड़ाई नहीं। काश होती। हम दोनों अपना अपना समोसा ले नज़दीक की बेंच पर विराजमान। लेकिन वो मज़ा नहीं जो पिछले दिन था। बाँटने का। एक नज़र अटकी, एक मुस्कान उमड़ी। दोनों के हाथ मे आधा समोसा। आधी दोस्ती। पूरी करने का एक ही तरीका। गड़प, एक दूसरे का।-
Plate me samosa
samose me aalu
Tu dekhne me hai bhola
ander se hai chalu-
चलो आज तुम्हें,
अपने मिज़ाज से रूबरू करवाता हूँ,
तुम चाय का बंदोबस्त करो !!
मैं समोसे ले कर आता हूँ ।।।-
हलकी हलकी बारिश🌧️
गरमा गरम चाय☕️
चटनी के साथ समोसे
मुँह में पानी आये। 😋-
आधा शटर गिरा था उसकी दुकान का,
मैंने भी दरवाजा खोल दिया दिल के मकान का।😋😋😋-
Yad aate h un samoson ki
un chat, teeke aur golgappon ki
Raste me lagi un dukanon ki
Un gadiyon ke awazon ki
Un bhare hue sadkon ki
Aur mall ke kapdon ki
Na jane kb ye hawayen apna rukh mode
Aur hm ye sare bandhan tode-
समोसे रक़ीब के संग,
फिर उन्हीं पुरानी गलियों में खा रहे हो वो ।
याद हमारी आ तो नहीं रही ?
बिना मिर्च ही,
अश्क बह रहे है उसके।
कहीं! याद हमारी आ तो नहीं रही ?
और ये जो पैसे दिए बिना ही,
जा रहे हैं वो !
याद हमारी आ तो नहीं रही ।।-