Nitin Rajput Seohara   (पन्नो पे लिखता एक एहसास.)
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Joined 30 August 2017


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कोई बताए उन्हें जुल्म ए कत्ल की सजा!
वो पूछ रही है अपने मेंहदी वाले हाथ दिखा कर कैसे लग रहे हैं हाथ उनके!

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27 FEB AT 1:48

दुनिया की भीड़ से चुन तो हम भी सकते थे किसी को,
पर जो मुझे मेरी तरह जीने से रोके, नहीं चुनना था उनमें से कुछ भी।।

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20 JAN AT 22:25

दिन अंधेरे के छंट गए
जब देखे थे इक्यानवे चौरासी।
अरे अवध अब है सज गया।
हम आयेंगे मथुरा काशी।
जिनके लिए था ध्वज उठाया।
वो करुणानिधान आए हैं।
प्यार का दीपक तुम भी जला लो,
मेरे प्रभु श्री राम आए हैं।

500 वर्ष का सबरी सा हमने सब्र धरा,
राम के प्यार में पागल थी बुढिया वो।
परेशान थोड़ी ना थी।
वेश बदलकर घूमते थे मारीच कितने।
रामलला की लड़ाई आसान थोड़ी ना थी।
सत्य, परिश्रम की जीत में
देर होती है अंधेर ना होते हैं
जिंदगी की हर कोशिश में
कुछ खट्टे कुछ मीठे बेर होते हैं।
सब्र रख तू भी पगले।
आज परिणाम आए हैं।
प्यार का दीपक तुम भी जला लो
मेरे प्रभु श्री राम

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5 NOV 2023 AT 2:12


बाजुओं का जोर था, और लोग पीछे चल दिए।
बाजुओं का दम कम , वो मुसाफिर फिसल गए।
वो छोड़ के भीड़ साथी, हम भी अपना निकल गए ।
कुछ भूल गया वो दिन बड़े, कुछ की याद में हूं।
अब काफ़िले छोड़कर, खुद की तलाश में हूं।

वो अगर मगर वो झूठ सच, वो कहानी, खयाल वो वादे किस्से।
वो दिन रात, वो शाम सुबह, हैं जिन्दगी के कुछ पुराने हिस्से।
कल को कल में छोड़ कर मैं बस आज में हूं।
हवाएं वो मोड़कर,मैं खुद की तलाश में हूं।।

जीत हार के युद्ध में, हार कर मैं कई बार,
मैं फिर लड़ा, मैं फिर गिरा, फिर करता था प्रहार।
प्रकाश फिर विजयी हुआ, तिमिर का करके संहार।

किस्मत तू तो बेगम है, मैं बादशाह ताश में हूं।
बस सुबह की आस में हूं, मैं खुद की तलाश में हूं।।

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12 AUG 2023 AT 17:34

जो बिछड़ जाए वो मिलते कहां हैं,
लहरें हों, या हों, ये नदी और किनारे,
यकीन ना हो तो देख लेना,
कब से पड़े हैं किसी कोने में
कितने ही मोजे हमारे।
-Nitin Rajput

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15 MAR 2023 AT 0:26

क्या ये सच नहीं है हम दूसरों में maturity तलाशते हैं और खुद चाहते हैं "कोई हमें बच्चों के जैसा accept कर ले।"

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15 FEB 2023 AT 16:37

"Thanks everyone for the showers of your wishes and love.
They really made my day, each wish has a different value, Your love, care and blessings make me more stronger to a new day."

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20 DEC 2022 AT 22:39

Private Job...
"अरे छोटा सा घर है उसका, कहाँ रहेगी तू
और प्राइवेट नौकरी...।क्या भरोसा आज है कल नहीं, भगवान न करे कल कुछ हुआ तो? किसके भरोसे रहेगी ?
माँ-बाबा ने एक सांस में उसके बारे में बोल दिया जिसको पाँच सालो से वो खुद से ज्यादा प्यार करती थी,
बेटी आहिस्ता से हिम्मत करती हुई बोली उसके ही भरोसे बैठना तो ये डिग्री किस बात की..बराबरी का हक़ लेना है तो बराबरी की जिम्मेदारी भी मेरी ना..
मुझे साथी चाहिये बाबा, एटीएम नहीं।

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11 OCT 2022 AT 0:17

कभी कभी कुछ लोग
बहुत पर्सनल इसलिए
भी हो जाते हैं,

क्योंकि उनको आपसे
बहुत सारे प्रोफेसनल काम
निकालने होते हैं।

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26 SEP 2022 AT 23:23

किस्मत से आपको भी शिकायत है?
क्या तुम्हें भी है आदत
किस्मत से करने की शिकायत,
हाँ मुझे भी खूब थी कभी,
पर आज है बिल्कुल नहीं,

एक दिन खुद से यूँ करते बातें,
बदले कुछ ऐसे मेरे थे इरादे।
किस्मत मेरी क्या एक सुनती है,
तो फिर मैं क्यों उसकी सुनुँ?
जब वो मेरी सुनती तक नहीं,
तो उसकी बनाई जिंदगी मैं क्यों चुनूं?

तो क्या समझे,
ऐसे मेरी किस्मत बदल गयी?
बिल्कुल नहीं!
बस बदल लिया मैने जीने का तरीका,
वो तरीका,
जो मैंने सिर्फ खुद से था सीखा।
बस इतना समझा मैं, खुशियों की
विरासत नहीं होती।
यूँ तो किस्मत आज भी वैसी है,
उसकी मुझसे और मेरी उससे
आज बस शिकायत नहीं होती।

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