ए जमाने! तू शक ना कर मेरे सब्र पर..........
देखना, गुलाब लिये वो जरुर आएंगे मेरी कब्र पर!-
Phir paas aane ko wo thoda door chal padi...
Yaad aane ki khatir, kayi yadein chhod chali...
Khamoshiyo ke shoron se mai use rokti rahi__
Sabra Rakho! Phir sahaz bhav se wo kah kar gayi!!-
सब्र करलो, क्योंकि हमनें भी सब्र कर ही लिया हैं ।
कुछ बेरुखियों से, न मिले जवाबों को जो सुना हैं ।।
(Full piece in the caption)-
सब्र बहुत कर लिया अब मैंने,
अब तो किस्मत से ,
लड़ जाने को जी चाहता है..!!!!-
बह जा ये हवा
तू मेरा ये पैग़ाम लेके...
अगर रास्ते मे तेरे
मिल जाये मेरी मंज़िल...
तो कहना उसे
हारा नहीं हूं मैं...
थोड़ा सब्र कर
धीरे-धीरे आ रहा हूं मैं...
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सब्र दो तरह से होता है
एक वो जो पसंद नहीं हैं उसे बर्दाश्त करे
और दूसरा वो जो पसंद है उसका इंतज़ार करें
जब यह दोनों काम कर रहे हो तो बस
अपने रब पर भरोसा रखें और सब्र करे
या क्युकी रब सब्र करने वालों के साथ होता है-
"एक दौर इम्तिहानों का"
इस कद़र परेशां करने लगी हैं ये मासूमियां
अब थोड़ी सी चालाकियां भी कर लें क्या?
थक चुके हैं दफ्न करके दिल में एक समंदर
अब इन आंखों से थोड़ा दरिया बहा दें क्या?
चुभने लगी हैं अब ये खामोशियां सभी को
सब्र भुलाकर अब थोड़ा-सा चीख लें क्या?
शिकवा करें भी तो किससे क्या शिकवा करें
बेहतर है ख़ुद ही पर इल्ज़ाम लगाना क्या?
ए खुदा! हम सब्र रख लेते हैं हर इक दफा
अब सिलसिला-ए-इम्तिहान खत्म करोगे क्या?-
तुम में सब्र मुझसे ज्यादा
मुझमें इल्म मुझसे ज्यादा है
तुम में खुमार मुझसे ज्यादा
मुझमें प्यार मुझसे ज्यादा है-
सब्र कर लिया अब तिरी याद में बे-सब्र नहीं होती हूँ अगरचे आज भी तुझसे मोहब्बत बे-सबब करती हूँ
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